जयपुर। दुर्गापुरा में स्थित प्राचीन दुर्गा माता का मंदिर
में मां महिषासुर मर्दिनी के रूप में माता की तीन फीट की अष्टभुजाधारी
प्रतिमा विराजमान है। इस मंदिर में हर नवरात्रि की सप्तमी को मेला भरता है।
मेले में सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु आते है। माता रानी को नवरात्रि
में जरी की पोशाक धारण करवाई जाती है। हालांकि श्रद्धालुओं को माता को
पोशाक भेंट करने के लिए दो साल का इंतजार करना पड़ता है।
चैत्र नवरात्र में हो जाती है पोशाक की बुकिंग चालू
माता
रानी को पोशाक भेंट करने के लिए चैत्र नवरात्र से बुकिंग शुरू हो जाती है।
पोशाक के लिए अब तक 2025 तक की बुकिंग हो चुकी है। महंत महेंद्र
भट्टाचार्य ने बताए अनुसार दुर्गापुरा में स्थित दुर्गा माता मंदिर की
स्थापना पूर्व मिर्जा राजा मानसिंह ने आश्विन शुक्ल अष्टमी,संवत 1872 करवाई
थी। राजा मानसिंह माता रानी की प्रतिमा पश्चिम बंगाल के जैसोर से शिला
माता के साथ लेकर आए थे। तब माता रानी को महल में विराजमान किया गया था।
संवत
1872 में सवाई प्रतापसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ करवाया था। वहां से उन्होने
अश्व छोड़ा। वो अश्व दुर्गापुरा में आकर रुका। जहां अश्व आकर रुका ,वहीं
माता रानी की प्रतिमा स्थापित करवाई गई। मंदिर में फिलहाल जो महंत है उनकी
12वीं पीढ़ी ही मंदिर की सेवादारी कर रही है।
अष्टभुजाधारी है माता रानी की प्रतिमा
दुर्गा
माता अष्टभुजाधारी है, जिनके दाहिने एक हाथ में तलवार, दूसरे में चक्र,
तीसरे हाथ में डमरू और बाएं पहले हाथ में ढाल, दूसरे में शंख व तीसरे में
गदा है। जबकि चौथे दोनों हाथों से महिषासुर का वध करते हुए दर्शन दे रही
है।
13 मीटर कपड़े से तैयार होताी है जरी की पोशाक
महंत
महेंद्र भट्टाचार्य ने बताया कि नवरात्रि में माता की जरी पोशाक भी खास
होती है। यह पोशाक 13 मीटर कपड़े में तैयार होती है। अध्यक्ष महेन्द्र
भट्टाचार्य ने बताया कि पुरानी पोशाक को लोग अपने बच्चों के कपड़े सिलवाने
के लिए ले जाते है। भक्त अपने बच्चों को नजर और बीमारियों से बचाने के लिए
माता की पोशाक से कपड़े सिलवा कर पहनाते है। माता को हर दिन सुबह—शाम नई
पोशाक धारण होती है। एक पोशाक चार बार ही धारण होती है।
नवरात्रि में होता है माता का विशेष श्रृंगार,रहते है मंदिर के पट मंगल
नवरात्रि
में दुर्गा माता के नौ दिन तक विशेष श्रृंगार किया जाता है। नवरात्रि में
मंदिर के पट सुबह 6 से दोपहर 12 बजे और शाम 5 से रात 9 बजे तक खुलते है।
अन्य दिनों में दर्शन रात 8 बजे तक ही खुलते है। नवरात्रि में आमेर शिला
माता के छठ का मेला भरता है, जबकि दुर्गापुरा स्थित दुर्गा माता के सप्तमी
का मेला भरता है। इस दिन माता के विशेष झांकी के दर्शन होंगे। शाम को
शोभायात्रा के साथ माता को ध्वजा चढ़ाई जाएगी। अष्टमी को हवन होता है और
नवमी पर विशेष पूजा व कन्या पूजन होता है।