भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा खनन क्षेत्र में निवेश को
प्रोत्साहित करने और आधुनिकतम तकनीकों का समावेश कर राज्य की खनिज संपदा का
बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय “मध्य प्रदेश
माइनिंग कॉन्क्लेव-2024” की शुरुआत हो गई है। भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे
इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में गुरुवार काे आयोजित इस दो दिवसीय कॉनक्लेव का
प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। इस
मौके पर हाईड्रोकॉर्बन की डीजी पल्लवी जैन, मिनरल एक्प्लोरेशन कॉर्पोरेशन
लिमिटेड के एमडी इंद्रदेव नारायण, उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव राघवेन्द्र
सिंह, सीआईआई मप्र के चेयरमैन आशीष वैश्य मौजूद रहे।
मुख्य सचिव
अनुराग जैन ने इस मौके पर माइनिंग कॉन्क्लेव की प्रदर्शनी का उद्घाटन भी
किया और साथ ही प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। कॉन्क्लेव में देश भर के
माइनिंग सेक्टर के निवेशक और दूसरे राज्यों के खनिज विभाग के अधिकारी शामिल
हुए हैं। इस कॉन्क्लेव में देश-विदेश की करीब 600 कंपनियां शामिल हो रही
हैं। देशभर के बडे़ औद्योगिक घरानों को बुलाया गया है। माइनिंग और जियोलॉजी
सेक्टर के अनुभवी विशेषज्ञ ट्रिपल आईटी तिरुपति के अरुण, आईआईटी धनबाद के
मो दानिश, धनबाद के सहाद्र सिंह, श्रवण कुमार सिंह, जियोलॉजी एक्सपर्ट भी
कॉन्क्लेव में हिस्सा ले रहे हैं।
खनिज विभाग के प्रमुख सचिव संजय
शुक्ल ने कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि मप्र में पिछले कई सालों से
इन्वेस्टर्स समिट होता है। इसमें सभी सेक्टर की बात होती है, लेकिन बहुत
सालों से देश में कुछ सेक्टर्स ने अपनी-अपनी एक प्रैक्टिस सेटअप की है।
जैसे दिल्ली में ऑटो शो होता है, बैंगलोर में एग्जिबिशन होता है। वैसे ही
मप्र माइनिंग के क्षेत्र में उभरता हुआ राज्य है। इसलिए मुख्यमंत्री डॉ
मोहन यादव ने निर्देश दिया कि माइनिंग के लिए अलग से कॉन्क्लेव करें। जिससे
माइनिंग सेक्टर में रोजगार और देश की जीडीपी को बढ़ाने की संभावनाओं पर बात
हो। देश का स्ट्रैटेजिक डिफेंस सिस्टम, स्पेस टेक्नोलॉजी और कई प्रकार के
स्ट्रैटेजिक सेक्टर कहलाते हैं, उनमें कैसे योगदान दे सकते हैं। जैसे ईवी
के लिए बैटरी चाहिए, कॉपर, लीथियम की जरूरत है। इस प्रकार के सेक्टर में
माइनिंग कैसे सहभागिता कर सकता है, इन सारे विषयों पर बात होगी।