इंदौर, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित न्यायधीशों, विधिवेत्ताओं और वैश्विक विशेषज्ञों की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हुआ। इस मौके पर उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति जितेन्द्र कुमार महेश्वरी ने कहा कि भारत में मध्यस्थता संबंधी न्यायशास्त्र में तेजी से हो रही प्रगति तथा अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप इसे सामंजस्यपूर्ण बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन होना चाहिए। साथ ही उन्होंने अपना मार्गदर्शन भी दिया।
इस संगोष्ठी में उच्चतम न्यायालय सहित विभिन्न प्रदेशों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश सहित विधिवेत्ताओं, वैश्विक विशेषज्ञों ने बड़ी संख्या में अपनी सहभागिता दी। दो दिनों तक चली इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विभिन्न वैचारिक और तकनीकी सत्र हुए, जिसमें न्यायधीशों, विधिवेत्ताओं और वैश्विक विशेषज्ञों ने परस्पर संपर्क और उत्साहजनक विचार-विमर्श किया।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस मौके पर न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला, न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलुवालिया और न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर सहित मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विशेष रूप से उपस्थित थे। डेनमार्क की ओर से मारिया स्कू और डॉ. लुइस बोइज़ेन ने भी इस संगोष्ठी में भाग लिया।
न्याय प्रणाली को लचीला, समावेशी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाएगा: न्यायमूर्ति सचदेवा
अपने मुख्य संबोधन में मध्य प्रदेश मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने कहा कि कानून को लगातार बदलती डिजिटल दुनिया की मांगों के अनुरूप विकसित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी केवल एक साधन नहीं है, बल्कि यह वाणिज्य, मध्यस्थता और न्याय को रूपांतरित करने वाली शक्ति है। नवाचार को जिम्मेदारी, निष्पक्षता और पहुंच के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। न्यायमूर्ति सचदेवा ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की प्रतिबद्धता को दोहराया कि न्याय प्रणाली को लचीला, समावेशी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरूआत रविवार को तकनीकी सत्र–4 “विवाद समाधान कानून: भारत और यूरोपीय संघ के दृष्टिकोण” से हुई। इस सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जितेन्द्र कुमार महेश्वरी ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखें। सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं परियोजनाएँ, डैनिश पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय के वरिष्ठ सलाहकार मैटियास कार्लसन डिनेट्ज़ ने संतुलित और कुशल मध्यस्थता व्यवस्था के निर्माण पर अपने दृष्टिकोण साझा किए।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्र–5 “ऑनलाइन अवैध गतिविधियों का आपराधिक प्रवर्तन” विषय पर आयोजित हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता रीजनल कोर्ट ऑफ़ डिमित्रोवग्राड बुल्गारिया के न्यायाधीश पेत्र पेत्रोव ने की। इस सत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं चेयर प्रोफेसर सिद्धार्थ लुथरा, (के.एल. अरोड़ा चेयर, एनएलयू दिल्ली) और प्रीसॉल्व360 की संस्थापक नमिता शाह ने सीमा-पार साइबर अपराध और डिजिटल साक्ष्य से संबंधित समकालीन चुनौतियों पर गहन चर्चा की।
दोपहर बाद “बौद्धिक संपदा और नवाचार” विषय पर आयोजित तकनीकी सत्र–6 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा, डैनिश पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय की उप महानिदेशक मारिया स्कू, और रॉयल डेनिश एम्बेसी के आईपी काउंसलर डॉ. लुइस बोइज़ेन ने वैश्विक आईपी रुझानों, नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोगात्मक ढांचे पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय न्यायिक डिजिटलीकरण और नागरिक-केंद्रित नवाचार में मानक स्थापित करता रहा है। न्याय वितरण प्रणाली में दक्षता, पारदर्शिता और पहुंच बढ़ाने के लिए कई नए आईटी प्रयासों का शनिवार को उद्घाटन किया गया। इनमें ऑनलाइन इंटर्नशिप फॉर्म सबमिशन सॉफ़्टवेयर , केस डायरी का ऑनलाइन संचार प्रणाली, और “समाधान आपके द्वार” जैसी पहलें शामिल हैं। इसके अतिरिक्त गत 4 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश द्वारा विकसित MACT पोर्टल का शुभारंभ किया गया। यह पोर्टल दावों के कुशल ऑनलाइन प्रबंधन और समय पर मुआवजा वितरण सुनिश्चित करता है, जिससे न्याय दूरदराज़ क्षेत्रों तक पहुँचता है। मुख्य न्यायाधीश के मार्गदर्शन में न्यायपालिका में अत्याधुनिक तकनीक के एकीकरण से डिजिटल साक्ष्य विश्लेषण, वर्चुअल अदालतें और डेटा-आधारित निर्णय प्रणाली जैसी नवाचारों के माध्यम से न्याय वितरण प्रणाली की दक्षता, पहुंच और सटीकता में महत्वपूर्ण परिवर्तन की संभावना है।
दो-दिवसीय संगोष्ठी का समापन सभी गणमान्य व्यक्तियों, संसाधन व्यक्तियों, न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और विधि छात्रों के प्रति आभार व्यक्त करने और वैश्विक संदर्भ में कानून, नवाचार और प्रौद्योगिकी पर संवाद जारी रखने के संकल्प के साथ हुआ।
भारत में मध्यस्थता संबंधी न्यायशास्त्र को अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के
