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गंभीर नवजात शिशुओं के उपचार में अहम भूमिका निभा रहा एनबीएसयू





वाराणसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर जन्में शिशुओं में आ रही चिकित्सीय व स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में न्यू बोर्न स्टेबलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) अहम भूमिका निभा रहा है। न्यू बोर्न स्टेबलाइज़ेशन यूनिट में ऐसे शिशुओं का प्रशिक्षित शिशु रोग विशेषज्ञ व स्टाफ नर्स की देखरेख में उचित उपचार किया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि जनपद की चार चिकित्सा इकाइयों (एफ़आरयू) क्रमशः सीएचसी चोलापुर में चार बेड, सीएचसी अराजीलाइन में दो बेड, सीएचसी गंगापुर (पिंडरा) में दो बेड और जिला चिकित्सालय रामनगर में 6 बेड का एनबीएसयू संचालित किया जा रहा है। जन्म के उपरांत शिशु में कोई भी समस्या दिखाई देती है तो उसे तत्काल एनबीएसयू में भर्ती कर समस्त जांच व उचित उपचार किया जाता है।



उन्होंने बताया कि एनबीएसयू, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में कमी लाने के लिए बेहतर भूमिका निभा रहा है। सीएमओ ने जनमानस से अपील की है कि चिकित्सालय में प्रसव के उपरांत कम से कम 48 घंटे तक जच्चा बच्चा रुके रहें, ताकि किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होने पर वहीं के प्रशिक्षित डॉक्टर व स्टाफ उचित उपचार कर उन्हें स्वस्थ कर सकें।



डिप्टी सीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ एचसी मौर्य ने बताया कि एनबीएसयू का समस्त स्टाफ प्रशिक्षित है। यहां रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी के साथ ऑक्सीज़न कंस्ट्रेटर, सक्सन मशीन,लेरिंगों मशीन,ड्रिप सेट,दवा एवं अन्य आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध हैं।



उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में समस्त चारों स्वास्थ्य इकाइयों पर संचालित एनबीएसयू में 719 नवजात शिशुओं को भर्ती कर सफलतापूर्वक उपचार किया जा चुका है, जिसमें सीएचसी चोलापुर में 499, सीएचसी अराजीलाइन में 176 एवं जिला चिकित्सालय रामनगर में 44 शिशुओं को भर्ती कर सफलतापूर्वक उपचार किया गया। इस कार्य में यूपीटीएसयू की ओर से तकनीकी सहयोग मिल रहा है।



स्वस्थ हुए बच्चों के परिजनों का अनुभव



चोलापुर निवासी नीलम (25 वर्ष) ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) चोलापुर पर पिछले माह सात तारीख को साढ़े तीन किलो ग्राम की बच्चे को जन्म दिया। लेकिन जन्म के तुरंत बाद बच्चे को ऐंठन, झटके और कपकपी होने लगी, जिससे नीलम बहुत घबरा गईं थीं। तत्पश्चात बच्चे को सीएचसी पर स्थित न्यू बोर्न स्टेबलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) में भर्ती किया गया। वहां प्रशिक्षित शिशु रोग विशेषज्ञ व स्टाफ नर्स की देखरेख में उचित उपचार किया गया। करीब एक सप्ताह तक बच्चे का उपचार चला और 16 मार्च को डिस्चार्ज हो गया।



शिशु के पिता वीरेंद्र कुमार ने कहा कि अच्छा हुआ कि हमने अपने बच्चे का प्रसव सरकारी चिकित्सालय में कराया। लेकिन सीएचसी के डॉक्टरों ने मेरे बच्चे का बहुत ख्याल रखा। इसी तरह चोलापुर निवासी सपना (21 वर्ष) ने सीएचसी चोलापुर पर फरवरी को दो किलो नौ सौ ग्राम के बच्चे को जन्म दिया। लेकिन शिशु को पेट संबंधी समस्या और संक्रमण था। इसके अलावा उसे झटके भी आ रहे थे। शिशु की गंभीर हालत देखकर उसकी माँ और समस्त परिवार वाले घबरा गए थे। लेकिन प्रशिक्षित स्टाफ की देखरेख में तुरंत शिशु को एनबीएसयू में भर्ती किया गया। करीब दो सप्ताह तक चले उपचार से वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया। शिशु की नानी सुमन ने कहा कि सीएचसी पर जच्चा-बच्चा दोनों की बहुत अच्छी देखभाल की गई।