बिश्केक/
दुशान्बे ,। मध्य एशिया के दो पड़ोसी देशों,
किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान में सूखे और जलवायु परिवर्तन के कारण जल स्तर
में आ रही भारी गिरावट के गंभीर ऊर्जा संकट पैदा हो गया है।
दोनों
देशों की अधिकांश बिजली की आपूर्ति जलविद्युत संयंत्रों पर निर्भर है, जो
सोवियत काल में बने हैं, लेकिन अब जलाशयों में पानी की कमी से ये संयंत्र
ठप हो रहे हैं।
स्थानीय मीडिया में शुक्रवार काे एक रिपोर्ट में
बताया गया कि ताजिकिस्तान के नुरेक बिजली संयत्र के जलाशय का जल स्तर
पिछले एक साल में 2.47 मीटर (लगभग 8.1 फुट) गिर चुका है, जिसे ताजिक ऊर्जा
एवं जल संसाधन मंत्रालय ने “चिंताजनक” करार दिया है। सरकारी 'उपयोगिता'
कंपनी ने पुष्टि की है कि नुरेक जलाशय का जल स्तर गिरने से बिजली उत्पादन
बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक मध्य एशिया के
प्रमुख जल स्रोत इन दोनों देशों की पहाड़ियों में बसे लगभग 20,000 हिमनद
यानी ग्लेशियर हैं, लेकिन सूखे और हिमनदों के पिघलने की धीमी गति ने जल
भराव की प्रक्रिया काे बुरी तरह से प्रभावित किया है। सोवियत संघ के विघटन
के बाद से दोनों देशों में जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिससे पानी के
'नेटवर्क' पर दबाव बढ़ गया है।
सरकारी सूत्राें के मुताबिक
सर्दियों में बिजली कटौती की घटनाएं आम रही हैं, लेकिन अब साल भर ही यह
संकट रहता है। बिजली संकट के कारण किर्गिज़स्तान में ऊर्जा संरक्षण के लिए
कड़े उपाय लागू कर दिए गए हैं। रेस्तरां और होटलों को रात 10 बजे तक बंद
करने का आदेश जारी किया गया है, जबकि सार्वजनिक स्थानों पर शाम 6 बजे के
बाद लाइटें बंद रखने की सख्ती बरती जा रही है। वहीं, ताजिकिस्तान में
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि बिजली के “अनावश्यक” उपयोग को रोकने में
विफल रहने वाले अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा।
हालांकि
इन कदमों से आम जनता का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है। घरों में घंटों
बिजली गुल रह रही है, उद्योग ठप पड़ रहे हैं और आर्थिक नुकसान बढ़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल स्तर और गिरा, तो संकट और गहरा सकता है।
इस बीच ताजिक ऊर्जा एवं जल संसाधन मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “नुरेक
जलाशय की स्थिति चिंताजनक है। पानी का गिरता स्तर पिछले साल की तुलना
में असामान्य रूप से तेज है"।
सरकारी सूत्राें ने शुक्रवार को बताया
कि जल स्तर में 2.47 मीटर की कमी ने पनबिजली उत्पादन को 'सीमित' कर दिया
है। किर्गिज़स्तान के अधिकारियों ने भी स्वीकार किया है कि मौजूदा बुनियादी
ढांचा जनसंख्या वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के दबाव को झेलने में असमर्थ
साबित हो रहा है।
समाधान की दिशा में प्रयासरत
दोनों देश
नवीन ऊर्जा संयत्राें के निर्माण के अलावा जल संसाधनों के बेहतर उपयोग और
जन भंडारण सुनिश्चित करने पर जाेर दे रहे हैं। नई परियोजनाओं के पूरा होने
पर न केवल घरेलू जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि बिजली का निर्यात भी पड़ोसी
देशों, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को किया जा सकेगा। हालांकि, जलवायु
परिवर्तन के व्यापक प्रभावों का निपटान किए बिना ये उपाय अस्थायी ही साबित
हाेंगेे।
पानी की कमी से जूझते किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान में छाया ऊर्जा संकट
