बीजिंग। चीन की सेना ने मंगलवार को ताइवान के आसपास अब तक का
सबसे बड़ा संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू किया है। इसमें सेना, नौसेना और रॉकेट
बल शामिल हैं। इसे ताइवान की स्वतंत्रता के खिलाफ सख्त चेतावनी माना जा रहा
है। चीन की सेना के पूर्वी थियेटर कमांड के आधिकारिक वीचैट सोशल मीडिया
अकाउंट पर इसकी जानकारी दी गई है। चीन ने कुछ दिनों से द्वीप के खिलाफ अपना
राजनीतिक और सैन्य दबाव तेज किया है। बीजिंग लंबे समय से ताइवान को अपना
हिस्सा बताता आ रहा है।
सीएनबीसी न्यूज चैनल की खबर के अनुसार,
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चीन के शांदोंग विमान वाहक
समूह ने सोमवार को द्वीप के प्रतिक्रिया क्षेत्र में प्रवेश किया। जवाब
में सैन्य विमान और जहाज भेजे गए और भूमि-आधारित मिसाइल प्रणालियों को
सक्रिय किया गया। बयान में कहा गया, ''चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने ताइवान
और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है। सुखद
यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसके साथ है।''
संयुक्त युद्धाभ्यास
की घोषणा के बाद चीन की सेना ने लगातार कई वीडियो जारी किए। इनमें चीन के
युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों को ताइवान को घेरते हुए ताइपे को ऊपर से
निशाना बनाते हुए और सैन्य वाहनों को शहर की सड़कों पर गश्त करते दिखाया
गया है। चीन की सेना ने एक पोस्टर का वीडियो भी जारी किया है। इसका शीर्षक
क्लोजिंग इन है। चीन की सेना के पूर्वी थियेटर कमांड ने वीचैट पेज पर शेल
शीर्षक से एक वीडियो जारी किया। इसमें ताइवान के राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते
को एक हरे रंग के कार्टून बग के रूप में दिखाया गया है। चीन की सेना ने
ताइवान के राष्ट्रपति को परजीवी कहा है। वीचैट पेज पर ताइवान के राष्ट्रपति
लाइ द्वीप को खोखला कर रहे हैं। चीन के ताइवान मामलों के कार्यालय के
प्रवक्ता झू फेंगलियान ने कहा कि यह संयुक्त अभ्यास लाइ चिंग-ते के बड़े
पैमाने पर स्वतंत्रता उकसावे के लिए एक कठोर सजा है। यही नहीं, चीन ने
ताइवान को मिलाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
उल्लेखनीय है
कि ताइवान को चीन की सैन्य धमकी दिए जाने का हालिया इतिहास 1996 से शुरू
होता है। यह वही समय है जब ताइवान में पहली बार प्रत्यक्ष राष्ट्रपति चुनाव
हुए थे। इसके बाद चीन ने ताइवान के आसपास के कई इलाकों को प्रतिबंधित
घोषित किया था। कभी चीन और ताइवान एक ही देश का हिस्सा थे। इसे संयुक्त
चीन के रूप में जाना जाता था। यह भी महत्वपूर्ण है कि बीजिंग कभी भी युद्ध
में ताइवान पर कब्जा नहीं कर पाया।चीन ने ताइवान से दो युद्ध निर्णायक रूप
से हारे हैं।