रायपुर। राजस्व अधिकारियों के खिलाफ एफ आई आर कराने के लिए अब
विभागीय अनुमति लेनी होगी। इसे लेकर छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ
लंबे समय से मांग करता रहा है । राजस्व विभाग ने इस संबंध में तमाम
संभागायुक्तों और कलेक्टरों को पत्र जारी किया है। कनिष्क प्रशासनिक सेवा
संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीलमणि दुबे ने इसके लिए विभागीय सचिव अविनाश चंपावत
का आभार अभाव व्यक्त किया है।
राजस्व विभाग के सचिव अविनाश
चम्पावत की ओर से बीती देर शाम काे जारी पत्र में कहा गया है कि न्यायालयीन
प्रकरणों के निराकरण उपरांत असंतुष्ट पक्षकारों द्वारा विधिवत अपील की
कार्यवाही न कर सीधे पीठासीन अधिकारी के विरूद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज
कराई जा रही है। पुलिस भी प्राथमिकी दर्ज कर पीठासीन अधिकारी को नोटिस दे
रही है। इस प्रकार न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम, 1985 के प्रावधानों के
अंतर्गत राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारियों को संरक्षण प्राप्त नहीं हो
पा रहा है।
इसके साथ असंतुष्ट पक्षकारों के पीठासीन अधिकारी के
विरूद्ध सीधे सिविल न्यायालय में वाद दायर कर दिया जा रहा है, और सिविल
न्यायाधीश स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में पुलिस को प्राप्त शिकायत की
जांच के लिए भेज रहे हैं, और पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज की जा रही है।
सचिव
ने अधिनियमों का हवाला देते हुए बताया कि न्यायायिक अधिकारियों की
सद्भावना में किए गए न्यायालय के कार्य अथवा पारित आदेशों के विरूद्ध सिविल
न्यायालय में मुकदमा चलाए जाने के संबंध में संरक्षण प्राप्त है। इस
अधिनियम के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति जो न्यायालय के रूप में काम करता है,
उसे उपरोक्तानुसार संरक्षण प्राप्त है। इस अधिनियम के अंतर्गत दिया गया
संरक्षण इसी सिद्धांत पर दिया गया है कि जो व्यक्ति न्यायालय के रूप में
कार्य करता है उसके कर्तव्यों के प्रभावी निष्पादन के लिए अत्यंत आवश्यक है
कि वह व्यक्ति बिना किसी भय के कार्य कर सके।