रायपुर: छत्तीसगढ़ में सुशासन की दिशा में हो रहे परिवर्तन और
प्रशासनिक संस्कृति के सुदृढ़ होते स्वरूप को रेखांकित करते हुए आज
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार 2025–26
की घोषणा की । यह पुरस्कार राज्य के विभिन्न जिलों और विभागों द्वारा लागू
किए गए उन नवाचारों को सम्मानित करने हेतु दिए जाएंगे, जिन्होंने शासन
व्यवस्था को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित बनाने में
उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
द्वारा मनरेगा अंतर्गत लागू क्यूआर कोड आधारित सूचना स्वप्रकटिकरण
व्यवस्था ने नागरिक-केंद्रित शासन को नई मजबूती दी। इस पहल ने मध्यस्थों पर
निर्भरता कम की और 11,000 से अधिक ग्राम ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता को
सुदृढ़ किया।मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया कि छत्तीसगढ़ शासन सार्वजनिक
सेवा के मूल मूल्य के रूप में नवाचार को निरंतर प्रोत्साहित करता रहेगा,
ताकि शासन व्यवस्था को भीतर से रूपांतरित करते हुए प्रत्येक नागरिक तक
मापनीय और सकारात्मक प्रभाव सुनिश्चित किया जा सके।
मुख्यमंत्री साय ने की मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार 2025–26 की घोषणा
उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी
की जयंती पर मनाए जा रहे सुशासन दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ में जनहित को
केंद्र में रखकर विकसित किए गए उत्कृष्ट प्रशासनिक नवाचारों को सम्मानित
करने के लिए मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार 2025–26 के विजेताओं की घोषणा
की गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि शासन में नवाचार
कोई विकल्प नहीं, बल्कि समय की आवश्यकता और प्रशासन की जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन नवाचारों के सम्मान की आज घोषणा की गई है, वे
केवल व्यक्तिगत उपलब्धियाँ नहीं, बल्कि भविष्य-उन्मुख शासन के लिए अनुकरणीय
और दोहराने योग्य मॉडल हैं। मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार 2025–26 के
लिए एक सुदृढ़ और बहु-स्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया अपनाई गई है, जिसका
उद्देश्य समावेशिता और गुणवत्ता के बीच संतुलन स्थापित करना था। उन्होंने
कहा कि इस वर्ष कुल 312 नवाचार प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनमें 275 जिलों से
और 37 राज्य स्तरीय विभागों से थे।
जिला श्रेणी के विजेताओं में
दंतेवाड़ा जिले की “ब्लॉकचेन आधारित भूमि अभिलेख डिजिटलीकरण” पहल एक प्रमुख
उदाहरण के रूप में सामने आई। इस नवाचार के माध्यम से मैनुअल और कागजी
प्रक्रियाओं को समाप्त कर ब्लॉकचेन आधारित छेड़छाड़-रोधी प्रणाली लागू की
गई, जिससे भूमि अभिलेख प्राप्त करना कुछ ही मिनटों में संभव हो सका। जशपुर
जिले की “निर्माण जशपुर” पहल ने 16 विभागों की 7,300 से अधिक परियोजनाओं
और 444 ग्राम पंचायतों को कवर करने वाली प्रणाली ने रियल-टाइम निगरानी,
जियो-टैग्ड सत्यापन और जीआईएस आधारित योजना को संभव बनाया, जिससे कार्यों
की गुणवत्ता में सुधार हुआ और विलंब में उल्लेखनीय कमी आई। मोहला–मानपुर–अंबागढ़
चौकी में लागू संवर्धित टेक-होम राशन (ए -टीएचआर ) नवाचार ने गंभीर कुपोषण
जैसी चुनौती का प्रभावी समाधान प्रस्तुत किया। इस पोषण-घन आहार के माध्यम
से गंभीर कुपोषित बच्चों में 77.5 प्रतिशत सुधार दर दर्ज की गई।
गरियाबंद
जिले की “हाथी ट्रैकिंग एवं अलर्ट ऐप” ने मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने
में तकनीक की भूमिका को सशक्त रूप से सामने रखा। एआई आधारित ट्रैकिंग और
रियल-टाइम अलर्ट व्यवस्था के माध्यम से मानव हताहतों की संख्या लगभग शून्य
तक लाई गई, साथ ही फसल क्षति और मुआवजा बोझ में भी उल्लेखनीय कमी
आई।नारायणपुर जिले का “इंटिफाई इंटेलिजेंस टूल” से आंतरिक सुरक्षा के
क्षेत्र में100 से अधिक नियोजित अभियानों का संचालन संभव हुआ, विभिन्न
एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर हुआ और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों
में परिस्थितिजन्य जागरूकता को मजबूती मिली।
विभागीय श्रेणी में
शिक्षा विभाग का “विद्या समीक्षा केंद्र (व्हीएस के )” डेटा-आधारित शिक्षा
शासन का एक मजबूत स्तंभ बनकर उभरा। यह एआई सक्षम प्लेटफॉर्म 56,000 से
अधिक विद्यालयों, 2.83 लाख शिक्षकों और 57.5 लाख विद्यार्थियों की निगरानी
करता है। वाणिज्य एवं उद्योग विभाग की “वन क्लिक सिंगल विंडो
सिस्टम” ने व्यवसाय सुगमता सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है।
16 विभागों की 136 सेवाओं को एकीकृत करते हुए इस प्रणाली ने अनुमोदन,
प्रोत्साहन, शिकायत निवारण और निरीक्षण प्रक्रियाओं को सरल बनाया। वाणिज्य
कर (आबकारी) विभाग की समग्र ई-गवर्नेंस सुधार पहल से एंड-टू-एंड
डिजिटलीकरण, ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली और रियल-टाइम डैशबोर्ड के माध्यम से
विभाग ने ₹5,425 करोड़ का राजस्व अर्जित किया । वन एवं जलवायु
परिवर्तन विभाग की “एफडीएस 2.0 – ई-कुबेर डिजिटल भुगतान प्रणाली” ने
मैनुअल चेक आधारित प्रक्रियाओं को समाप्त कर पूर्णतः कैशलेस, आर बीआई
एकीकृत भुगतान व्यवस्था लागू की।
