उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा की
विशेष पहल पर गृह विभाग ने गार्ड ऑफ ऑनर की औपनिवेशिक काल से चली आ रही
परंपरा की समीक्षा करने के उपरांत इसमें संशोधन का आदेश जारी किया है। इसका
उद्देश्य पुलिस बल की कार्यक्षमता का उपयोग कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने
और औपनिवेशिक सोच से जुड़ी परंपराओं को समाप्त करना है।
छत्तीसगढ़ में मंत्रीगणों और पुलिस अधिकारियों को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिए जाने की परंपरा समाप्त
रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य के मंत्रीगणों और पुलिस के आला
अधिकारियों को सामान्य दौरे, निरीक्षण, भ्रमण के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर दिए
जाने की औपनिवेशिक परंपरा को समाप्त कर दिया गया है।
गृह विभाग द्वारा 19
दिसंबर काे लिखे पत्र काे बुधवार की देर रात काे सार्वजनिक किया गया जिसमें
गार्ड ऑफ ऑनर के नियमों में संशोधन किया गया है, जिसे तत्काल प्रभाव से
लागू कर दिया गया है।
उल्लेखनीय
है कि गृहमंत्री विजय शर्मा ने स्वयं विभाग के अधिकारियों को गार्ड ऑफ ऑनर
की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर इसमें वर्तमान स्थिति में
आवश्यकतानुसार बदलाव करने के निर्देश दिए थे। जिसके परिपालन में गृह विभाग
ने पुलिस बल को अनावश्यक औपचारिकताओं से मुक्त कर उनकी कार्यक्षमता का
उपयोग उनके मूल दायित्वों के पालन के लिए यह संशोधन किया है।
जारी
आदेश के तहत राज्य के भीतर सामान्य दौरों, आगमन-प्रस्थान एवं निरीक्षण के
दौरान अब गृहमंत्री, समस्त मंत्रीगण, पुलिस महानिदेशक सहित अन्य वरिष्ठ
पुलिस अधिकारियों को सलामी गारद (गार्ड ऑफ ऑनर) नहीं दिया जाएगा।
जिला
भ्रमण, दौरे या निरीक्षण के समय पूर्व में प्रचलित सलामी व्यवस्था को
पूर्णतः समाप्त कर दिया गया है। इससे पुलिस बल का समय और ऊर्जा का प्रभावी
उपयोग सुरक्षा, कानून-व्यवस्था तथा जनसेवा के कार्यों में हो सकेगा।
