साहित्य की हर विधा में लिखते हैं 'प्रकाश'
'प्रकाश' द्वारा भारत रत्न अटल जी पर लिखी कविता के प्रमुख अंश -
श्री अटल तो अटल जिनको जग जानता,
जिनका लोहा भी सारा है जग मानता।
स्वप्न में पूर्वजों को नहीं ध्यान था।।
श्री अटल लोक शुचिता की संकाय हैं,
देश नक्शे कदम साथ मिलकर चला,
श्री अटल भाजपा की अक्षत दाय हैं।।
ये थे जग के सगे हर्ष और शोक में।
कोटि कंठों से यशगान जिनका विमल,
राज - नीति के अटल की शख्सियत से क्या कहने हैं,
श्री अटल ह्रदय के उच्च धरातल पर ही रहने हैं।
ये अजात हैं शत्रु सभी आंखों के गहने हैं।।
इनकी स्मृति को उर में बसा दीजिए,
इनको आस्था का नंदन कहा कीजिए।
थे जितने तन के विमल उतने मनके कमल,
पोखरख परीक्षण पर ये पंक्तियां सुनिए -
जो हुआ पोखरण में वो होना ही था,
कुछ थे तन के सुघर पर थे मन के मलिन,
क्लिंटन सरीखों को रोना धोना ही था।।
...जब अटल जी मेरी कविता सुनकर बोले — अरे! राम प्रकाश मंच पर तो समां बांध देते हो
लखनऊ: भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती (25
दिसंबर) लखनऊ के चर्चित साहित्यकार - कवि राम प्रकाश त्रिपाठी 'प्रकाश' के
लिए बहुत ही खास होता है, क्योंकि ये दो कवियों की जुगलबंदी को याद कराता
है।
कवि राम प्रकाश त्रिपाठी 'प्रकाश' के जीवन की बड़ी उपलब्धि ये है कि
वे भारत रत्न अटल जी की मौजूदगी में न केवल कविता पाठ कर चुके हैं बल्कि
उनसे शाबासी और सम्मान भी पा चुके हैं। अटल जी कहते थे —'अरे राम प्रकाश जी
आप तो अपनी कविता से समां बांध देते हो'।
वयोवृद्ध कवि -
साहित्यकार एक अन्य कार्यक्रम का जिक्र करते हुए बताया कि लखनऊ के लालबाग
में अटल जी के मुख्य आतिथ्य में एक बार होली मिलन समारोह आयोजित किया
गया। इसमें भाजपा विधायक, सांसद और प्रमुख पदाधिकारियों को ही प्रवेश
दिया गया था।
इसमें अटल जी ने राम प्रकाश त्रिपाठी 'प्रकाश' को एकल काव्य
पाठ के लिए बुलाया था। उस समारोह को याद करते हुए 'प्रकाश'बताते हैं कि
कविताएं सुनकर अटल जी बोले 'अरे राम प्रकाश जी आप तो समां बांध देते हो'।
उनके इतना कहते ही पूरा कार्यक्रम स्थल तालियां से गुंजायमान हो गया था।
