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चम्पाई सोरेन कैबिनेट में खाली पदों पर कांग्रेस के विधायकों की दावेदारी






रांची,। जेल में बंद आलमगीर आलम के मंत्री पद और कांग्रेस विधायक दल के नेता पद से इस्तीफे के बाद से ये दोनों पद खाली हो गए हैं। इन दोनों ही पदों पर जल्द नियुक्ति की संभावना जताई जा रही है। साथ ही झारखंड में पहले से ही एक मंत्री पद खाली है, जिसपर कांग्रेस दावा करती रही है। ऐसे में दो मंत्री और एक विधायक दल के नेता का पद खाली है। जेएमएम से बार्गेन करने में यदि कांग्रेस सफल होती है, तो उसके तीन विधायकों को मौका मिल सकता है।

पिछले दिनों कांग्रेस के छह से आठ विधायक मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल करने की मांग आलाकमान से कर चुके हैं। इस दौरान इनके तेवर भी बेहद तल्ख रहे हैं। बेरमो से विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह को कांग्रेस पहले ही उनकी पत्नी को लोकसभा का टिकट देकर उनकी शिकायत को खत्म कर चुकी है। रही बात शिल्पी नेहा तिर्की की, तो वह पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की की बेटी हैं।

फिलहाल, बंधु तिर्की झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में शिल्पी को मंत्री बनाने की संभावना कम ही लग रही है। जहां तक राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी की बात है, ये आदिवासी समाज से आते हैं और चम्पाई मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे से पहले से ही रामेश्वर उरांव मंत्री हैं, इस लिहाज से इनके नामों पर चर्चा कम है।

महिला कोटे में दीपिका पांडेय सिंह और अंबा प्रसाद के नाम की चर्चा चल रही है। अंबा प्रसाद ओबीसी कोटे से हैं। चूंकि, केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल में राज्य के दो ओबीसी चेहरों को मौका मिला है, तो यहां उसके काउंटर के लिए कांग्रेस अंबा प्रसाद को मौका दे सकती है। दीपिका पांडेय सवर्ण कोटे से आती हैं और उन्हें पहले लोकसभा के लिए गोड्डा सीट से टिकट दिया गया था, जिसे बाद में काट दिया है। उनकी नाराजगी को खत्म करने के लिए भी उन्हें मौका मिल सकता है।

उमांशकर अकेला भी पिछले दिनों असंतुष्ट गुट में शामिल थे और दिल्ली तक पहुंच कर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। ओबीसी कोटा और उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें विधायक दल का नेता भी बनाया जा सकता है। यदि अकेला को विधायक दल का नेता बनाया जाता है तो अंबा प्रसाद मंत्री नहीं बन पाएंगी। क्योंकि, दोनों ही एक ही क्षेत्र से आते हैं और दोनों ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इरफान अंसारी संथाल क्षेत्र से आते हैं और मुस्लिम नेता हैं। मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर ये भी मुखर रहे हैं। इनके पिता फुरकान अंसारी कांग्रेस के सीनियर लीडर हैं और गोड्डा से सांसद भी रह चुके हैं। गोड्डा लोकसभा सीट के लिए दावेदार भी थे। वहीं, जिनके इस्तीफा देने पर मंत्री और विधायक दल के नेता का पद खाली हुआ है वह भी संथाल क्षेत्र से ही आते हैं और मुस्लिम नेता हैं। इस लिहाज से इरफान अंसारी का पलड़ा भारी दिख रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र से हफिजुल हसन मंत्री हैं लेकिन वह जेएमएम के कोटे से हैं। कुल मिलाकर देखें तो दीपिका पांडेय सिंह और इरफान अंसारी की दावेदारी मजबूत दिख रही है।