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राष्ट्रीय सहकारिता सप्ताह पर विशेष : देश में सबसे पहले सहकारी मंडली का वर्ष 1889 में वडोदरा में हुआ था गठन - छह करोड़ से अधिक आबादी वाले गुजरात में हर चौथा गुजराती सहकारी मंडली का सभासद




गांधीनगर,। गुजरात की सहकारी संस्था अमूल न केवल भारत, अपितु विश्व में सहकारिता क्षेत्र का उत्तम उदाहरण है। देश में सबसे पहले सहकारी मंडली का गठन वर्ष 1889 में वडोदरा में अन्योन्य सहायक सहकारी मंडली के रूप में किया गया था। गुजरात में वर्ष 1904 के सहकारिता अधिनियम के अनुसार अहमदाबाद जिले में दसक्रोई तहसील की वीसलपुर सहकारी मंडली गुजरात की प्रारंभ में पंजीकृत हुई मंडली है।

देशभर में 14 से 20 नवंबर के दौरान राष्ट्रीय सहकारिता सप्ताह मनाया जा रहा है। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि सहकारी प्रवृत्तियों का देश एवं राज्य के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा। इसमें भी गुजरात के सहकारिता मॉडल का समग्र देश में विशिष्ट रूप पहचान है।

सहकारी मंडलियों के पंजीयक की विज्ञप्ति के अनुसार गुजरात की स्थापना के समय राज्य में सहकारी मंडलियों की संख्या करीब 13,959 थी, जाेकि आज कुल 89,221 के लगभग सहकारी संस्थाएं कार्यरत हैं, जिनमें 1.71 करोड़ सभासद जुड़े हुए हैं। इस प्रकार, लगभग 6 करोड़ से अधिक आबादी वाले गुजरात में हर चौथा गुजराती सहकारी मंडली का सभासद है। गुजरात के सभी 33 जिला मुख्यालयों में जिला पंजीयक सहकारी मंडली का कार्यालय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2021 में देश में पहली बार अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया है। गुजरात के सपूत एवं देश के गृह मंत्री अमित शाह के देश के सहकारिता मंत्रालय के प्रथम मंत्री बनने के बाद सहकारिता क्षेत्र में आमूल परिवर्तन देखा जा रहा है। साथ ही साथ, सहकारी मंडलियों के सभासदों के लिए कई हितोन्मुखी निर्णय भी लिए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में तथा सहकारिता मंत्री जगदीशभाई विश्वकर्मा के मार्गदर्शन में राज्य सरकार के सहकारी मंडलियों के विभाग द्वारा सभासदों को पिछले तीन वर्षों यानी वर्ष 2021-22 से 2023-24 के दौरान विभिन्न लाभ दिए गए हैं। इसके अंतर्गत राज्य में कृषि उत्पाद बढ़ाने के लिए किसानों को कृषि की आवश्यकताएं पूर्ण करने के लिए विभिन्न बैंकों द्वारा फसल ऋण दिया जाता है। फसल ऋण योजना अंतर्गत किसानों को बिना ब्याज यानी शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जाता है। किसानों को दिए जाने वाले लोन पर लगने वाले ब्याज को भारत सरकार 3 प्रतिशत और गुजरात सरकार 4 प्रतिशत के तौर पर वहन करती है इसके तहत केन्द्र-राज्य सरकार द्वारा तीन वर्षों में 48 लाख से अधिक किसानों को 3,056.48 करोड़ रुपये की ब्याज सहायता चुकाई गई है।

इसी प्रकार पशुपालन व मत्स्योद्योग प्रवृत्तियों को अधिक सुदृढ़ ढंग से परिपूर्ण करने के उद्देश्य से पशुपालकों को 19.31 करोड़ रुपये तथा मछुआरों को 78 लाख रुपये के लोन पर ब्याज सहायता दी गई है। राज्य में नागरिकों को पर्याप्त व समय पर अनाज उपलब्ध कराने और फसल संग्रह क्षमता में वृद्धि के लिए किसानों को गोदाम निर्माण के लिए 5 लाख रुपये की सीमा में 25 प्रतिशत पूंजी सहायता दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा पिछले तीन वर्षों यानी वर्ष 2021 से 2024 के दौरान 559 किसानों को गोदाम निर्माण के लिए 15 करोड़ रुपये की सहायता भी दी गई है। इसके अलावा स्किल डेवलपमेंट अंतर्गत राज्य की सहकारी मंडलियों की व्यवस्थापक समिति के सदस्यों एवं सभासदों को सहकारी अधिनियमों, नियमों और विभिन्न कामकाज की जानकारी उपलब्ध कराने तथा सहकारी मंडलियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के लिए सरकार द्वारा राज्य सहकारी संघ को हर वर्ष 2.5 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाता है, जिससे पिछले 3 वर्षों में 3.57 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया गया है।

एग्रीकल्चर मार्केटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए राज्य में किसानों की फसल को उचित मूल्य दिलाने के लिए 224 बाजार समितियां कार्यरत हैं। किसान कल्पवृक्ष योजना अंतर्गत इन बाजार समितियों में ऑक्शन शेड, वे-ब्रिज, किसान प्रदर्शनी केन्द्र, सीसी रोड, कम्पाउंड वॉल, शोप कम गोडाउन जैसे विभिन्न इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए सहायता दी जाती है। इस योजना में पिछले तीन वर्षों के दौरान 72 हजार समितियों को इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 54.55 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। डिजिटलाइजेशन व डेटा मैनेजमेंट अंतर्गत राज्य में ऋण प्रदान करने वालों की सुनियोजित जानकारी प्राप्त हो तथा वे जरूरी पंजीकरण करा कर कार्य करें, इसके लिए ई-को-ऑपरेटिव पोर्टल पर पंजीकरण की शुरुआत वर्ष 2022 से की गई। इसके तहत ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिए जा रहे हैं। पिछले तीन वर्षों यानी 2021 से 2024 के दौरान 2,138 नए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिए गए और 682 सर्टिफिकेट ऑनलाइन रिन्यू किए गए।

इसके अलावा बोर्ड ऑफ नॉमिनीज में मंडलियों के चलने वाले विभिन्न मामलों का विवरण भी ऑनलाइन ई-को-ऑपरेटिव पोर्टल पर उपलब्ध कराने की सेवा शुरू की गई है। एनसीडी डेटाबेस पर विभिन्न प्रकार की 80 हजार मंडलियों की जानकारी तैयार की गयी है, जो ऑनलाइन भी उपलब्ध है। कानूनी सुधार के तहत राज्य की शीर्षस्थ संस्थाओं, निर्दिष्ट सहकारी मंडलियों, नागरिक सहकारी बैंकों, चीनी मंडलियां आदि जैसी सहकारी संस्थाओं के लिए 5 लाख रुपये से अधिक की खरीदारी पर ई-टेंडर प्रक्रिया को अनिवार्य किया गया है। सहकारी मंडलियों द्वारा अपने मुनाफे में से सभासदों को डिविडेंट दिया जाता है। यह डिविडेंड वर्षों से 15 प्रतिशत तक दिया जाता है, जिसे बढ़ाकर अब 20 प्रतिशत तक दिया जाएगा। राज्य की बाजार समितियों में सुव्यवस्थित चुनाव प्रक्रिया के लिए बाजार अधिनियम में सुधार किए गए हैं। इसके साथ ही हाउसिंग मंडलियों की ट्रांसफर फीस की समस्या के निवारण के लिए सहकारी मंडली के कानून में भी सुधार किया गया है।