कानपुर,। शहर में ट्रांसपोर्टरों की समस्या को देखते हुए कानपुर
विकास प्राधिकरण (केडीए) ने साल 2012 में महानगर के पश्चिम भाग पनकी में
खुली जगह पर न्यू ट्रांसपोर्ट नगर बसाने की योजना बनाई। इससे ट्रांसपोर्टर
भी खुश थे और प्रशासन भी शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए प्रयासरत था।
इन सबके बावजूद नगर निगम का बना कूड़ा निस्तारण प्लांट योजना की उम्मीदों
पर पानी फेर दिया, क्योंकि कूड़ा का निस्तारण न होने से वहां पर कूड़े के
पहाड़ बन गये हैं। इससे ट्रांसपोर्टर वहां पर जाने को राजी ही नहीं हो रहे
हैं।
इसको देखते हुए अब नगर निगम ने पहल शुरू कर दी है और शासन ने
46 करोड़ रुपये का बजट भी पास कर दिया है। संभावना है कि प्लांट में कूड़ा
निस्तारण से न्यू ट्रांसपोर्ट नगर के दिन बहुर जाएंगे और केडीए की योजना भी
सफल हो जाएगी।
किदवई नगर के भीड़ भाड़ वाले इलाके में ट्रांसपोर्ट
नगर बसा हुआ है। औद्योगिक शहर होने के नाते यहां पर ट्रांसपोर्ट का काम
बहुतायत में है। माल को लाने व ले जाने के लिए ट्रांसपोर्टरों को शहर के
अंदर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कानपुर विकास
प्राधिकरण ने साल 2012 में करीब तीन सौ करोड़ रुपये की लागत से शहर के
पश्चिम भाग पनकी में नेशनल हाइवे टू के पास न्यू ट्रांसपोर्ट नगर बसाने की
योजना बनाई। 2013 से योजना पर काम शुरू हुआ और 2018 तक लगभग 90 फीसदी कार्य
पूरा भी हो गया। इसके बाद ट्रांसपोर्टरों को भूखण्ड आवंटित कर उनको वहां
से व्यवसाय संचालित करने को सुनिश्चित किया गया लेकिन ट्रांसपोर्टर न्यू
ट्रांसपोर्ट नगर में जाने को तैयार ही नहीं हुए। इसके पीछे जो सबसे बड़ा
कारण रहा कि योजना के पास ही नगर निगम का कूड़ा निस्तारण प्लांट बना हुआ
है। इस प्लांट पर एक दशक पहले तक नगर निगम से अधिकृत कंपनी ए टू जेड शहर भर
से आये कूड़ा का निस्तारण करती थी, लेकिन बाद में उसने काम बंद कर दिया।
इससे वहां पर कूड़े के पहाड़ बन गये और प्लांट के पास न्यू ट्रांसपोर्ट
नगर, बदुआपुर, पनका, जमुई, कला का पुरवा, पनकी पड़ाव, पनका भीमसेन, पनकी
गंगागंज, विद्यार्थी नगर, सुंदर नगर समेत आसपास के अन्य इलाकों में बदबूदार
हवा से लोग परेशान होने लगे। कई गांवों के लोग तो पलायन कर गये और भूगर्भ
का पानी भी दूषित हो गया।
नहीं आना चाहते ट्रांसपोर्टर
शहर
के पश्चिम खुली जगह पर नेशनल हाइवे टू से सटे इस न्यू ट्रांसपोर्ट नगर को
अगर ट्रांसपोर्टरों की सुविधाओं की दृष्टि से देखा जाये तो बहुत कुछ है।
यहां से आसानी से ट्रांसपोर्टरों के वाहन नेशनल हाइवे के जरिये देश के किसी
भी भाग में जा सकते हैं। यही नहीं पश्चिम की तरफ से आने वाले लोगों को यह
जगह खूबसूरत के रुप में भी दिखाई देगी। इसके बावजूद ट्रांसपोर्टर कुछ
मूलभूत सुविधाओं व मुख्यतया नगर निगम के कूड़ा प्लांट को लेकर वहां नहीं
जाना चाहते। हालांकि इस योजना के तहत कुल 1029 प्लाट हैं जिसमें 535 बिक भी
चुके हैं। अब नगर निगम ने प्लांट से कूड़ा निस्तारण की पहल की है तो केडीए
को उम्मीद बढ़ गई है। केडीए उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल ने बताया कि
कूड़ा निस्तारण की समस्या हटने के बाद जो भी मूलभूत सुविधाएं बची हैं, उसको
भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद ट्रांसपोर्टरों को न्यू ट्रांसपोर्ट
नगर में शिफ्ट किया जाएगा।
शासन ने स्वीकृत किया 46 करोड़ रुपये
नगर
आयुक्त सुधीर कुमार ने बताया कि भाऊ सिंह स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट में
करीब 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक कूड़ा पड़ा हुआ है, जो कई वर्षों का है।
शहर भर का कूड़ा उसी प्लांट पर पहुंचाया जाता है। पहले इस प्लांट से कूड़ा
का निस्तारण होता था और सीमेंट फैक्ट्री में ईंधन के रूप में उपयोग के लिए
भेजा जाता था। कूड़ा निस्तारण के लिए शासन से धनराशि की मांग की गई थी जिस
पर स्टेट लेवल टेक्निकल कमेटी ने सहमति दे दी है। करीब 46 करोड़ रुपये
आवंटित होगा। यह धनराशि एक से डेढ़ माह में मिल जाएगी। इसके बाद प्लांट से
कूड़ा का निस्तारण कराया जाएगा। इसमें करीब एक साल तक का भी समय लग सकता
है।