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नवरात्र विशेष: भद्रकाली मंदिर में होती हैं मन्नतें पूरी


चतरा,। झारखंड के चतरा जिले के इटखोरी में प्राचीन मां भद्रकाली का मंदिर है। यह राज्य का चर्चित सिद्धपीठ स्थल है जो पौराणिक फल्गु नदी की सहायक महाने और बक्सा नदी के संगम तट पर अवस्थित है। मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। देश ही नहीं विदेशों से भी मां भद्रकाली के दर्शन और पूजन के लिए लोग आते हैं। खासकर शारदीय और चैत्र नवरात्र में यहां पूजा अर्चना करने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है। कहा जाता है कि माता भद्रकाली के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता है। लोगों की इस मंदिर के प्रति अटूट आस्था है। इस मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। इटखोरी में 9 वीं शताब्दी में मां भद्रकाली मंदिर का निर्माण किया गया था।

 माता भद्रकाली की प्रतिमा अति दुर्लभ काले पत्थर को तरास कर बनाई गई है। करीब 5 फीट ऊंची आदमकद प्रतिमा चतुर्भुज है। प्रतिमा के चरणों के नीचे ब्राह्मी लिपि में श्लोक अंकित है। प्रतिमा का निर्माण नौ वीं शताब्दी में बंगाल के शासक राजा महेंद्र पाल द्वितीय ने कराया था। मंदिर परिसर में ही एक दुर्लभ विशाल शिवलिंग है। यहां एक ही शिला में 1008 शिवलिंग उत्क्रीर्ण है। जहां एक लोटा जल से 1008 शिवलिंग पर अभिषेक होता है। मंदिर परिसर में कई अन्य देवी देवताओं की भी प्राचीन प्रतिमाएं मौजूद हैं।

तीन धर्मो की है संगम स्थली

इटखोरी तीन धर्मों की संगम स्थली माना जाता है। वैसे तो यह स्थल माता भद्रकाली के मंदिर के लिए चर्चित है। यह स्थान महात्मा गौतम बुद्ध की स्मृतियों से भी जुड़ा है। इसका ऐतिहासिक साक्ष्य है। यहां काफी वर्षों तक गौतम बुद्ध ने निवास किया था। यहां एक प्राचीन बौद्ध स्तूप भी है। यह जगह जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर भगवान शीतल नाथ का जन्मभूमि भी माना जाता है। यहां मिले एक ताम्रपत्र में इसका उल्लेख भी है। वैसे तो पुराण पुरुष राजा सूरत की यह तपोभूमि स्थल माना जाता है।

झारखंड, बिहार सहित कई राज्याें से आते है श्रद्धालु

झारखंड, बिहार सहित कई अन्य राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालु चैत्र नवरात्र के मौके पर कलश स्थापना करने आते हैं। यहां आए भक्त मंदिर परिसर में बने भवनों में डेरा डालकर सुबह-शाम मंदिर प्रांगण में दुर्गा सप्तशती का पाठ और पूजन करते हैं। कोई फलाहार तो कोई अल्पाहार रहकर यहां माता की साधना में जुटे रहते हैं। वहीं फिलहाल चल रहे नवरात्र में मां भद्रकाली मंदिर में हर दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। नवरात्र के दूसरे दिन साेमवार काे भी

मुख्य मंदिर सहित पूरे परिसर में लोगों की भीड़ लगी रही।

इस बार चैत्र नवरात्र के मौके पर मां भद्रकाली मंदिर और इसके प्रांगण को फूलों से एवं आकर्षक लाईटों से सजाया गया है। मंदिर का मुख्य द्वार और माता रानी की गर्भगृह समेत विभिन्न धार्मिक स्थलों की साज सज्जा लोगों को आकर्षित कर रही है।

भद्रकाली मंदिर के पुजारी अशोक पांडेय ने कहा कि मां के प्रति लोगों की अटूट आस्था है। माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से यहां आते हैं और मन्नतें मांगते हैं। मां उनकी मन्नत अवश्य पूरी करती है। यह मंदिर जागृत है। इटखोरी में विराजमान मां भद्रकाली के इस स्वरूप का वर्णन देवी भागवत और दुर्गा सप्तशती में भी है। कालांतर से लेकर अब तक यहां चैत्र नवरात्र में साधकों की ओर से विशेष पूजा अर्चना की जाती है। सामान्य दिनों में भी मंदिर में लोगों की भीड़ लगी रहती है। मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से इस बार नवरात्र में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाएं बहाल की गई हैं। यह मंदिर दिल्ली-कोलकाता ग्रैंड ट्रंक रोड के जजदीक में है। चौपारण से यहां पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर चतरा-हजारीबाग मुख्य मार्ग से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर के नजदीक के स्टेशनाें में कोडरमा, गया, कटकमसांडी और पदमा शामिल है। झारखंड की राजधानी रांची और गया से सड़क मार्ग से आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है। आसपास ठहरने के लिए गेस्ट हाउस और कई होटल्स हैं।