रामगढ़, । हजारीबाग लोकसभा सीट की जीत में रामगढ़ विधानसभा का
योगदान अहम रहा है। यह विधानसभा हमेशा भाजपा को एक बड़ी लीड देता आया है।
20 मई को जनता ने किसको कितना वोट दिया यह तो चार जून को पता चल ही जाएगा।
लेकिन इससे पहले चौक चौराहों और गांवों में हो रही चर्चा एक नई राजनीति की
तरफ इशारा कर रही है। इस बार आजसू नेताओं की निष्क्रियता की वजह से रामगढ़
विधानसभा में जयराम महतो की पार्टी झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति
(जेबीकेएसएस) की एंट्री हो गई है। चुनाव के दौरान इस पार्टी को हजारीबाग
विधानसभा में हेलमेट छाप का निशान मिला था। अब यह हेलमेट भाजपा की जीत के
रास्ते का रोड बन सकती है। जिस तरह से रामगढ़, बड़कागांव और मांडू विधानसभा
में जयराम महतो की पार्टी के उम्मीदवार संजय मेहता को हेलमेट छाप पर वोट
मिला है वह वोट इस क्षेत्र के बहुसंख्यक जाति समुदाय का है।
2019 तक भाजपा के वोट बैंक का 2024 में हुआ बंटवारा
2019
के लोकसभा चुनाव तक कुर्मी, कुशवाहा और पटेल समाज के लोग भाजपा को वोट
देते आए थे। उनका वोट लोकसभा में भाजपा की जीत के जरूरी रहा है। 2024 में
इस वोट बैंक का बंटवारा हो गया। इस बहुसंख्यक जाति को हजारीबाग लोकसभा में
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने बेहद अच्छे तरीके से अपने पक्ष
में गोलबंद नहीं कर पाई। एक तरफ भाजपा ने जहां इन बहुसंख्यक जाति समाज को
अपना कैडर वोट माना था, वहीं इंडिया गठबंधन ने इस जाति समाज का वोट अपने
तरफ करने के लिए उनके ही समाज के उम्मीदवार जयप्रकाश भाई पटेल को चुनावी
मैदान में उतार दिया था। इसी जाति को अपनी तरफ खींचने के लिए स्थानीयता का
मुद्दा जयराम महतो की पार्टी ने भी उठाया।
स्थानीयता के मुद्दे पर युवा हुए जयराम के पीछे
जयराम
महतो की पार्टी जेबीकेएसएस ने स्थानीयता के मुद्दे को लेकर अपनी एंट्री
मारी है। ग्रामीण इलाके की युवा पीढ़ी ने जेबीकेएसएस को हाथों-हाथ लिया और
जयराम महतो के पीछे हो गए। जयराम महतो ने हजारीबाग लोकसभा से संजय मेहता को
टिकट दिया। चुनाव प्रचार भी उन्हीं इलाकों में किया जहां स्थानीयता का
मुद्दा पहले से ही हावी था। जातिगत राजनीति का फायदा उन्हें मिला और कई बूथ
पर उन्हें वोट भी मिले हैं।
मतगणना के बाद तीसरी पार्टी बनकर उभर सकती है जेबीकेएसएस
चुनाव
प्रचार करने निकले भाजपा के कार्यकर्ताओं को जेबीकेएसएस की गूंज तब नहीं
सुनाई दी। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि मतगणना के साथ जेबीकेएसएस हजारीबाग
लोकसभा क्षेत्र में एक तीसरे स्तर की पार्टी बनकर उभर कर सकती है। यह चर्चा
अब काफी तेजी से फैल रही है और हर सक्रिय राजनीति करने वाले नेताओं तक भी
पहुंच रही है।
चंद्रप्रकाश चौधरी के गढ़ में आजसू कार्यकर्ताओं ने बरती लापरवाही
रामगढ़
विधानसभा आजसू के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी का गढ़ है। यहां से जब वे बाहर
निकाल कर गिरिडीह लोकसभा गए, तब यहां की जनता ने उनकी पत्नी सुनीता चौधरी
को विधायक बनाया। इस विधानसभा के एक-एक घर के लोगों से चंद्र प्रकाश चौधरी
का संबंध जग जाहिर है। ऐसी स्थिति में उनके गढ़ में भाजपा के स्टार प्रचारक
का चुनावी सभा फ्लॉप होना, गांव और बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं का निराशाजनक
प्रदर्शन भी अब चर्चा में आम हो रहा है।