रुद्रप्रयाग/
उखीमठ/मद्महेश्वर। पंचकेदारों में प्रतिष्ठित द्वितीय
केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज प्रातः शुभ मुहूर्त में विधि-
विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस अवसर पर 250 से अधिक श्रद्धालु मौजूद
रहे।
इसी के साथ भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली और देव निशानों
ने स्थानीय वाद्ययंत्रों ढोल-दमाऊं प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान
किया। कपाट बंद से एक दिन पहले मंदिर में यज्ञ-हवन किया गया। आज प्रात:
साढ़े चार बजे मंदिर खुला और प्रातःकालीन पूजा के पश्चात श्रद्धालुओं ने
भगवान मद्महेश्वर के दर्शन किए। इसके बाद गर्भगृह में कपाट बंद करने की
प्रक्रिया शुरू हुई।
भगवान मद्महेश्वर के स्वयंभू शिवलिंग को
शृंगार रूप से समाधि स्वरूप में ले जाया गया। शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों,
फल पुष्पों, अक्षत से ढक दिया गया। इसके बाद पुजारी टी गंगाधर लिंग ने
प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान उपस्थिति में शुभ मुहूर्त में मंदिर के
कपाट बंद किए।
इसके बाद मंदिर की परिक्रमा की गई। भगवान
मद्महेश्वर की डोली ने पुरातन बर्तन व सामग्री का निरीक्षण किया। फिर
हक-हकूकधारी भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली के साथ प्रस्थान किया।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय और उपाध्यक्ष
किशोर पंवार ने कपाट बंद होने के अवसर के साक्षी बने श्रद्धालुओं को
शुभकामनाएं देते हुए प्रसन्नता जताई है।
बीकेटीसी मुख्य
कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया 18 हजार से अधिक
तीर्थयात्रियों ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन किए। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी
डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम के गौंडार
पहुंचेगी। डोली 21 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर में और 22 नवंबर को गिरिया
में प्रवास करेगी। 23 नवंबर को गिरिया से चलकर भगवान मद्महेश्वर की
चल-विग्रह डोली अपने देव निशानों के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर
मंदिर उखीमठ में विराजमान हो जाएगी। इसी के साथ ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ
में भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा शुरू हो जाएगी।
उल्लेखनीय
है कि 23 नवंबर को मुख्य रूप से मद्महेश्वर मेला भी आयोजित होता है। बड़ी
संख्या में श्रद्धालु भगवान मद्महेश्वर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान और ओंकारेश्वर मंदिर प्रभारी रमेश नेगी ने
बताया कि मद्महेश्वर मेले के लिए ओंकारेश्वर मंदिर मंदिर उखीमठ को फूलों
से सजाया जा रहा है।