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गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर पानीपत से निकली हिंद की चादर यात्रा



पानीपत, । गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में हरियाणा में 'हिंद की चादर' यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में पानीपत जिले के इसराना साहिब गुरुद्वारा से एक विशेष यात्रा को एसडीएम नवदीप सिंह नैन और संत श्री राजेंद्र सिंह ने रवाना किया।

यह यात्रा इसराना साहिब गुरुद्वारा से शुरू हुई। इस अवसर पर हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पानीपत के प्रधान मोहनजीत सिंह ने बताया कि गुरु तेग बहादुर, जो सिखों के नौवें गुरु थे, का शहीदी दिवस 24 नवंबर को मनाया जाता है। उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए 'हिंद की चादर' कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम कबूल करने से इनकार कर दिया और स्पष्ट कहा कि वे शीश कटा सकते हैं, पर केश नहीं , सिर दे सकते हैं, पर विश्वास नहीं छोड़ सकते, 24 नवंबर को, उन्हें दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से शहीद कर दिया गया था। यह बलिदान न केवल सिख धर्म के लिए, बल्कि भारत में हर व्यक्ति के मानवाधिकारों और अपनी आस्था चुनने की स्वतंत्रता के लिए दिया गया था।

धर्म प्रचार कमेटी के प्रधान गुरमीत सिंह ने कहा कि सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी संपूर्ण मानवता के प्रकाश स्तंभ थे। वे धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के रक्षक, करुणा और त्याग के प्रतीक थे। उन्होंने बताया कि यह यात्रा सभी धर्मों में सद्भावना, भाईचारे, न्याय और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के संदेश को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से निकाली जा रही है।

गुरमीत सिंह ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान दिवस को 'हिंद की चादर' के नाम से जाना जाता है। 350वां सालाना शहीदी दिवस सिख इतिहास के लिए प्रेरणादायक दिवस है, जिसे पूरे विश्व में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है। उनके साथ हरकीरत सिंह कुरुक्षेत्र, नवजोत सिंह सुपरवाइजर, गुलाब सिंह मुनक, मोहनजीत सिंह पानीपत, करनैल सिंह निम्नाबाद, और संत भवन इसराना साहिब से सरदार गुरदयाल सिंह भी उपस्थित रहे।