मीरजापुर। शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि पर गुरुवार को महागौरी
स्वरूपा मां विंध्यवासिनी के दर्शन को विंध्यधाम में आस्था का संगम दिखा।
दर्शन-पूजन कर भक्तों ने पुण्य की कामना की। मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं
के दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हुआ, जो अनवरत चलता रहा।
शारदीय
नवरात्र के अष्टमी तिथि को मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के लिए गैर
प्रांतों के श्रद्धालु बुधवार की रात ही विंध्यधाम पहुंच गए थे। विंध्यधाम
के होटलों और अतिथि गृहों में विश्राम के बाद दर्शनार्थी भोर में ही गंगा
स्नान कर विंध्यवासिनी के दर्शन को मंदिर की तरफ निकल पड़े और गर्भगृह के
सामने कतारबद्ध हो गए। सुबह जैसे-जैसे दिन ढलता गया, श्रद्धालुओं की संख्या
बढ़ती गई।
बुधवार की रात महानिशा पूजा होने के कारण बड़ी संख्या में
श्रद्धालु विंध्यधाम पहुंचे। मां विध्यवासिनी, मां काली व मां अष्टभुजा के
दर्शन के बाद शिवपुर स्थित रामेश्वरम मंदिर और तारा मंदिर में दर्शन-पूजन
कर त्रिकोण परिक्रमा पूरी की। त्रिकोण मार्ग पर सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था
रही।
शमशान घाट, तारा मंदिर व भैरो कुंड में हुई तंत्र साधना
महानिशा
की रात तंत्र साधना के लिए विंध्यधाम के विभिन्न स्थलों पर तांत्रिकों का
जमावड़ा लग गया था। मान्यता है कि विंध्यधाम में वाम मार्गी और दक्षिण
मार्गी दोनों साधक अपनी-अपनी साधना विधि से तंत्र साधना कर सकते हैं।
साधकों को अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। इसलिए यहां दोनों मार्गों के
साधक फल की प्राप्ति के लिए तंत्र साधना के लिए महानिशा की पूजा में जुटते
हैं। विंध्यधाम के शिवपुर स्थित रामगया श्मशान घाट, तारा मंदिर, अष्टभुजा
पहाड़ी पर स्थित भैरो कुंड समेत अन्य साधना स्थलों पर तंत्र साधकों ने साधना
कर अपने ईष्ट को प्रसन्न करने का उपक्रम किया। तंत्र साधना के मद्देनजर
विभिन्न साधना स्थलों के आसपास पुलिस का कड़ा पहरा रहा।
महानिशा में तंत्र साधना का महत्व
महानिशा
में विंध्यधाम में तंत्र साधना का अपना अलग ही महत्व है। रामगया श्मशान
घाट, तारा मंदिर, काली खोह, भैरो कुण्ड, चितवा खोह, मोतिया तालाब, गेरुआ
तालाब आदि स्थानों पर साधक साधना में जुटे रहे।
विंध्य पर्वत पर रही रौनक
शारदीय
नवरात्र के अष्टमी के दिन विंध्य पर्वत पर रौनक रही। त्रिकोण करने वाले
भक्तों की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा दोगुनी रही। कालीखोह मंदिर से
अष्टभुजा मंदिर होते हुए तारा मंदिर जाने वाले मार्ग पर पूरे दिन भक्तों की
टोली दिखी।
मां विंध्यवासिनी के पताका (ध्वज) का महत्व
मान्यता
है कि नवरात्र में मां भगवती नौ दिनों तक मंदिर की छत के ऊपर पताका में ही
विराजमान रहती हैं। सोने के इस ध्वज की विशेषता यह है कि यह सूर्य चंद्र
पताकिनी के रूप में जाना जाता है। यह निशान सिर्फ मां विंध्यवासिनी के
पताका में ही होता है।
हाई अलर्ट पर जिला प्रशासन
जिला
प्रशासन को नवरात्र के आखिरी दिनों में उमड़ने वाली भीड़ की पहले से ही आहट
लग चुकी थी। इसलिए पहले से ही जिला प्रशासन हाई अलर्ट पर था। पुलिस द्वारा
ड्रोन कैमरे से पूरे क्षेत्र में रखी जा रही है। वहीं डॉग स्कवायड सहित
पूरे मेला क्षेत्र में कई जगहों पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।