कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अमित मालवीय
ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा
करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर गंभीर आरोप लगाए।
अपने
पोस्ट में अमित मालवीय ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रयासों के
कारण ही हिंदू-बहुल पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा बना, जहां हिंदू बंगाली
बिना भय के अपनी संस्कृति, आस्था और पहचान के साथ रह सकते हैं। उन्होंने
दावा किया कि दशकों तक सीमा पार धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए हिंदू
बंगाली भारत में शरण लेने को मजबूर हुए।
अमित मालवीय ने कहा कि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन अधिनियम ऐसे ही
शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन और कानूनी सुरक्षा देने के उद्देश्य से
बनाया गया था और इससे देश के किसी भी मौजूदा नागरिक के अधिकारों को नुकसान
नहीं पहुंचता।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने
सीएए का कड़ा विरोध किया और इसे लेकर विरोध प्रदर्शन के लिए मौलवियों और
कट्टरपंथी तत्वों को उकसाया। मालवीय के अनुसार, इस दौरान राज्य में
हिंसा हुई, सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों को जाम किया गया, सार्वजनिक
संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और हिंदुओं को निशाना बनाया गया।
भाजपा
नेता ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने मतुआ, नमशूद्र और राजबंशी
जैसे कमजोर समुदायों को डराने का काम किया और उन्हें यह कहकर सीएए के तहत
आवेदन करने से रोका गया कि ऐसा करने पर उन्हें उत्पीड़न, दस्तावेजों की
जब्ती और सरकारी लाभों से वंचित किया जा सकता है।
अमित मालवीय ने
दावा किया कि सीएए को बदनाम कर ममता बनर्जी ने बंगाल के हिंदुओं को
असुरक्षित छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि यदि तुष्टीकरण की राजनीति न की जाती,
तो संभव है कि बांग्लादेश के दीपू चंद्र दास आज जीवित होते और पश्चिम
बंगाल में सम्मान के साथ जीवन बिता रहे होते।
अपने पोस्ट के अंत में
अमित मालवीय ने कहा कि इतिहास इन फैसलों को याद रखेगा और जनता से 2026 के
विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को जवाबदेह ठहराने और सत्ता से बाहर करने
की अपील की।