कोडरमा,। जिले में शुक्रवार की सुबह भगवान सूर्य को अर्घ्य देने
के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न हो गया। आज चौथा और अंतिम दिन
था। सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर सूर्योदय होने के साथ ही अर्घ्यदान का क्रम
आरंभ हो गया था। इसके बाद व्रती व उनके स्वजनों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य
देकर खुद के लिए और समाज व देश के हित की कामना की।
इससे पहले
शुक्रवार की अलसुबह से ही श्रद्धालु पास के छठ घाटों पर पहुंचने लगे थे। इन
घाटों पर रोशनी की बेहतर व्यवस्था होने से यहां का दृश्य मनोहारी था।
भक्ति भाव माहौल में विधि-विधान से सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती
शुक्रवार को अपने-अपने घरों की ओर लौट गए। विभिन्न घाटों पर कोई व्रती पैदल
चलकर तो कोई अपनी सवारियों से आए तो कोई दूर के इलाकों से टेंपो से पहुंचे
थे। इधर कोडरमा के राजा तालाब, बरसोतियाबर, प्रेम सागर तालाब, डोमचांच
स्थित शिवसागर तालाब, झुमरीतिलैया के इंदरवा, तिलैया बस्ती, इंद्रपुरी,
चाराडीह, चंदवारा, मरकच्चो, सतगावां, जयनगर समेत अन्य जगहों के घाटों पर
कुछ श्रद्धालु पूरी रात मौजूद रहे। इस दौरान गाना-बजाना का भी दौर चला। कुछ
पूजा समितियों के तरफ से सजाए गए थे, कुछ ने अपने घाटों को अपने तरीके से
सजाए थे। जिन लोगों के घर से तलाब और नदी की दूरी अधिक थी, वे लोग अपने
घर-आंगन या फिर छत पर घटों का निर्माण कर सजाए और भगवान भास्कर को अर्ध्य
दिए।
तड़के तीन बजे से ही व्रतियों के कारवां ने घाटों पर पहुंच
सूर्य देवता और छठी माई की उपासना शुरू कर दी थी। इसके बाद सूर्योदय होते
ही अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया। जिले का तापमान भी कुछ नीचे गिरा
हुआ था। हल्की ठंड के बावजूद भी देर रात तक श्रद्धालु घाटों से नहीं डिगे।
अपना और परिवार के अन्य सदस्यों का सूप चढ़ाने के बाद सुहागिनों ने
एक-दूसरे की मांग भरी और उनके खोइंचा में ठेकुआ, खजूर व फल का प्रसाद डाला।
इस अवसर पर पटाखे भी खूब फूटे।