उद्योग मंत्री चैतन्य काश्यप ने
इसे प्रदेश के औद्योगिक इतिहास का स्वर्णिम क्षण बताते हुए कहा, “2025
मध्य प्रदेश के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ है। हमने निवेशकों को नीतियों के
साथ भरोसे का वातावरण दिया है। यही कारण है कि देश-विदेश की बड़ी कंपनियां
और नए उद्यमी मध्य प्रदेश को अपनी अगली ग्रोथ डेस्टिनेशन के रूप में देख
रहे हैं।”
वार्षिकी : 2025 में मध्य प्रदेश की विकास छलांग, 26 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव, 17 लाख रोजगार
भोपाल: मध्य प्रदेश के लिए वर्ष 2025 स्टार्टअप्स, निवेश,
औद्योगिक सुधार और आर्थिक बदलावों के लिहाज से ऐतिहासिक और निर्णायक वर्ष
के रूप में दर्ज हो गया है। बीते एक वर्ष में राज्य ने जिस तरह से निवेश
आकर्षित किया,
स्टार्टअप इकोसिस्टम को सशक्त बनाया और नीतिगत सुधारों को
जमीन पर उतारा, उसने मध्य प्रदेश को देश के उभरते आर्थिक केंद्रों की कतार
में ला खड़ा किया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और उद्योग मंत्री चैतन्य
काश्यप दोनों ही 2025 को “नए मध्य प्रदेश की आधारशिला रखने वाला वर्ष” बता
रहे हैं।
वर्ष 2025 की सबसे बड़ी उपलब्धि भोपाल में आयोजित ग्लोबल
इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस-2025) रहा। इस समिट में करीब 26.61 लाख करोड़
रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए जोकि अब तक का रिकॉर्ड है।
पहले ही
दिन 22.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्ताव सामने आए और अनुमान है कि
इन निवेशों से 17.34 लाख से अधिक नए रोजगार सृजित होंगे। आईटी और
टेक्नोलॉजी सेक्टर में ही 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव
आए, जिससे लगभग 1.80 लाख रोजगार बनने की संभावना जताई गई।
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 के दौरान कहा था कि मध्य प्रदेश
अब केवल संभावनाओं का राज्य नहीं, बल्कि भरोसे का राज्य बन चुका है। 2025
में जो निवेश प्रस्ताव आए हैं,
वे आने वाले वर्षों में प्रदेश की
अर्थव्यवस्था, रोजगार और नवाचार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। मुख्यमंत्री
का मानना है कि राज्य सरकार की उद्योग और स्टार्टअप अनुकूल नीतियों ने
निवेशकों में विश्वास पैदा किया है।
उद्योग मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार का फोकस
केवल बड़े उद्योगों तक सीमित नहीं है, स्टार्टअप्स और एमएसएमई को समान रूप
से आगे बढ़ाने पर भी है। इसी सोच के तहत वर्ष 2025 में स्टार्टअप पॉलिसी को
प्रभावी रूप से लागू किया गया,
जिसके अंतर्गत 100 करोड़ रुपये का सीड
कैपिटल फंड शुरू किया गया। इसका उद्देश्य शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स को
वित्तीय मजबूती देना है ताकि अच्छे आइडिया केवल पूंजी की कमी के कारण दम न
तोड़ दें।
पिछले एक वर्ष में मध्य प्रदेश में स्टार्टअप्स की संख्या
5,000 के पार पहुंच गई है। आईटी, एग्री-स्टार्टअप्स, फूड प्रोसेसिंग,
हेल्थटेक, फिनटेक और क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में नए स्टार्टअप तेजी से
उभरे हैं।
सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में इस संख्या को 10,000 तक
पहुंचाने का है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, “हम चाहते हैं कि मध्य
प्रदेश का युवा नौकरी मांगने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बने।
स्टार्टअप्स इस सोच की रीढ़ हैं।”
हालांकि 2025 तक राज्य का अपना
कोई यूनिकॉर्न सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार और विशेषज्ञों दोनों का
मानना है कि इकोसिस्टम अब यूनिकॉर्न तैयार करने के लिए पूरी तरह सक्षम हो
चुका है।
इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहर स्टार्टअप हब के रूप
में उभर रहे हैं। इंदौर में आयोजित टेक कॉन्क्लेव में 20,000 करोड़ रुपये
के निवेश प्रस्ताव आए, जिससे यह साफ हो गया कि तकनीकी क्षेत्र में मध्य
प्रदेश की पकड़ मजबूत हो रही है।
वर्ष 2025 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
को लेकर भी बड़े सुधार किए गए। उद्योगों और स्टार्टअप्स के लिए अनुमोदन
प्रक्रियाओं को सरल किया गया, ऑनलाइन सिस्टम को मजबूत किया गया और समयबद्ध
स्वीकृति पर जोर दिया गया। उद्योग मंत्री के अनुसार, “हमारा लक्ष्य है कि
निवेशक को दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। प्रक्रिया जितनी सरल होगी,
निवेश उतना ही तेज आएगा।”
सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए इन्क्युबेशन
और मेंटरशिप नेटवर्क को भी मजबूत किया है। प्रदेश में लगभग 1,000
इन्क्युबेशन सेंटर्स विकसित करने की दिशा में काम शुरू हुआ, ताकि ग्रामीण
और शहरी दोनों क्षेत्रों के युवाओं को नवाचार का मंच मिल सके।
इसके साथ ही
स्किल डेवलपमेंट पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिससे उद्योगों को
प्रशिक्षित मानव संसाधन मिलता रहे। यही कारण है जो नवीकरणीय ऊर्जा, ईवी,
मैन्युफैक्चरिंग और एमएसएमई सेक्टर में हुए निवेश ने मध्य प्रदेश की
अर्थव्यवस्था को विविधता प्रदान की है।
प्रदेश में आज सोलर और ग्रीन
एनर्जी परियोजनाओं में हजारों करोड़ रुपये के निवेश से पर्यावरण-अनुकूल
विकास को बढ़ावा मिल रहा है। साथ ही हजारों की संख्या में नए रोजगार भी
सृजित हो रहे हैं।
येे सच है, फिलहाल यूनिकॉर्न का सपना मप्र का अभी पूरा
नहीं हुआ है, लेकिन निवेश, स्टार्टअप्स और नीतिगत सुधारों के मजबूत आधार ने
यह स्पष्ट कर दिया है कि मध्य प्रदेश अब आर्थिक विकास और नवाचार की नई
उड़ान भर रहा है। वह विकसित राज्य बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा
है।
