अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने गुजरात पुलिस पर सख्त टिप्पणी की
है। सोमवार को एक केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि किसलिए पुलिस
शिकायतकर्ता को नोटिस भेजती है। क्या यह करना जरूरी है। कोर्ट ने संबंधित
पुलिस थाने के पुलिस उपाधीक्षक को कोर्ट में तलब किया है। कोर्ट ने टिप्पणी
की कि क्या पुलिस का काम रिकवरी एजेंट का है। तलवार लेकर घूमने और फायरिंग
करने वालों को पुलिस रोक नहीं सकती। पुलिस का काम बैठा-बैठा रिकवरी करने
का है। जो काम वास्तव में पुलिस को करना चाहिए, उसे वह नहीं कर सकती है।
गुजरात हाई कोर्ट में राजकोट के जैतपुर में एग्रो बिजनेस का
पार्टनरशिप में कारोबार करने वाले व्यक्ति ने वकील प्रशांत चावडा के जरिए
हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार बावला, चांगोदर और
जेतपुर पुलिस थाने से याचिकाकर्ता को फोन आते हैं। एक अन्य शिकायतकर्ता के
आवेदन के आधार पर पुलिस उससे 21 लाख रुपये देने को कहती है। इस पर कोर्ट ने
पुलिस पर सख्त टिप्पणी की।
इसमें बताया गया है कि एक शिकायतकर्ता
उसके विरुद्ध अलग-अलग थाने में गलत शिकायतें करता है। इस संबंध में पुलिस
उपाधीक्षक जेतपुर, पीआई बावला और चांगोदर थाने से उसके पास फोन आया। इनका
जवाब भी दिया गया। चांगोदर थाने से उसके विरुद्ध समन्स भी जारी किया गया।
याचिकाकर्ता के पास पहले बावला थाने से फोन या कि उसने अपने पार्टनर को
दिए जाने वाले रुपये नहीं दिए हैं। इसके बाद चांगोदर पुलिस थाने से समन्स
आया था। याचिकाकर्ता के अनुसार वास्तव में दूसरे शिकायतकर्ता ने ही उसके
साथ ठगी की है। एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के निर्यात के लिए सामान मंगवाए गए थे।
प्रोडक्ट की गुणवत्ता सही नहीं होने पर वह सामान नहीं बिका और गोदाम में
ही पड़ा रहा गया। इससे करीब 21 लाख रुपये का नुकसान हुआ।