रायपुर: छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं ज्ञानपीठ
पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का 89 वर्ष की उम्र में मंगलवार
शाम को निधन हो गया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज बुधवार काे राजधानी
रायपुर के शैलेन्द्र नगर स्थित निवास पहुंचकर स्वर्गीय विनोद कुमार शुक्ल
के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने उनके
पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर नमन किया तथा ईश्वर से दिवंगत आत्मा
की शांति के लिए प्रार्थना की।
मुख्यमंत्री साय ने स्वर्गीय शुक्ल के पार्थिव शरीर को दिया कंधा
मुख्यमंत्री साय ने कहा
कि छत्तीसगढ़ की माटी से उपजे महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के निधन
से हिंदी साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति पहुँची है। उनकी रचनाएँ
संवेदनशीलता, मानवीय सरोकारों और सरल किंतु गहन अभिव्यक्ति की अनुपम मिसाल
हैं। उन्होंने कहा कि श्री शुक्ल की लेखनी ने हिंदी साहित्य को नई ऊँचाइयाँ
प्रदान की।
उनका साहित्य न केवल पाठकों को गहराई से स्पर्श करता है, बल्कि
आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत बना रहेगा।
साहित्य जगत में उनका अवदान सदैव स्मरणीय रहेगा। श्री शुक्ल को राजकीय
सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
इस अवसर पर कवि डॉ. कुमार
विश्वास, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, मुख्यमंत्री के प्रेस
अधिकारी अलोक सिंह, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा,
वरिष्ठ साहित्यकार, जनप्रतिनिधिगण एवं अधिकारी गण उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय
है कि एक महीने पहले ही उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान
ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था। शुक्ल पिछले कुछ महीनों से बीमार चल
रहे थे। उनका एम्स रायपुर में इलाज चल रहा था।
6 दिसंबर को विनोद शुक्ल
द्वारा लिखी गई उनकी अंतिम कविता थी ‘बत्ती मैंने पहले बुझाई, फिर तुमने
बुझाई, फिर हम दोनों ने मिलकर बुझाई’।साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को
ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का
चेक सौंपकर उन्हें सम्मानित किया था।
