समीक्षा: मनोरंजन के साथ इंफॉर्मेटिव है वेब सीरीज 'आदि शंकराचार्य'
सामने प्रस्तुत करने के लिए अद्वैत के सिद्धांत में विश्वास
रखने वाली संस्था 'द आर्ट ऑफ लिविंग' और लेखक निर्देशक ओंकारनाथ मिश्रा
लेकर आ रहे हैं वेब सीरीज 'आदि शंकराचार्य' जिसका पहला सीजन इसी हफ्ते
रिलीज के लिए तैयार है।
फिल्में तो पहले भी बनी हैं आदि शंकर के
विषय पर लेकिन आम जन मानस पर कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ सकीं। संभवतः इसका एक
कारण यह भी हो सकता है कि आदि शंकर का जीवनकाल तो छोटा था लेकिन उनके
द्वारा किये गए कार्य इतने महत्वपूर्ण, विस्तृत और ऐतिहासिक हैं कि उनको
फिल्म के फॉर्मैट में समेटना अत्यंत कठिन होगा। लेखक निर्देशक ओंकारनाथ
मिश्रा ने इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए अपनी वेब सीरीज के पहले सीजन
में आदि शंकराचार्य जी से जीवन के प्रारम्भिक 8 वर्षों की कहानी बताने का
सुंदर प्रयास किया है।
कहानी:-
पहले सीजन में कुल 10 एपिसोड
हैं जिन्हें अलग अलग नाम दिए गए हैं जो उनमें निहित कहानी के अनुसार हैं।
जैसे आगमन (एपिसोड-1), विलक्षण बालक और विदेशी षड्यंत्र (एपिसोड-2),
प्रतिकार और पूर्वाभास(एपिसोड-3), गुरुकुल में प्रवेश(एपिसोड-4), कलरीपट्टू
और चाइनीज युद्धकला (एपिसोड-5), पहला चमत्कार (एपिसोड-6), अद्भुत शिष्य
(एपिसोड-7), दूसरा चमत्कार (एपिसोड-8), सन्यास के लिए आग्रह (एपिसोड-9) और
सन्यास (एपिसोड-10) ।
पहले एपिसोड में आदि शंकर के जन्म और
समसामयिक ऐतिहासिक घटनाओं के साथ-2 उनके जन्म से 1000 वर्ष पहले तक की
ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण घटनाओं को सिलसिलेवार ढंग से प्रस्तुत किया
गया है। ईसा पूर्व मौर्य काल की शुरुआत से ही समाज/धर्म में भ्रष्ट आचरण
प्रारम्भ हो गया, जिसके परिणामस्वरूप बौद्ध और जैन सम्प्रदायों का उदय हुआ
और साम्प्रदायिकता, नये देवताओं और जबरन धर्म परिवर्तन का युग आरम्भ हुआ।
भारत में 72 से अधिक धार्मिक सम्प्रदायों का उदय हुआ। बौद्ध अहिंसा दर्शन
से प्रभावित होकर सम्राट अशोक ने सेना को धन देना बंद कर दिया। सेना कमजोर
हो गई और धीरे-2 भारत 300 से अधिक राज्यों में विभक्त हो गया, जिससे एक
दूसरे के विरुद्ध युद्ध छिड़ गया।
भारत को कमजोर पाकर अरबों ने 712
ई. में सिंध पर आक्रमण किया और जीतने के बाद वे बलपूर्वक मध्य भारत में और
समुद्री मार्ग से व्यापारियों के रूप में दक्षिण भारत में प्रवेश करने का
प्रयास कर रहे थे। यह पूर्णतः सामाजिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक अंधकार का
युग था। इन परिस्थितियों में आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ई. में श्री
शिवगुरु और देवी आर्याम्बा के पुत्र के रूप में हुआ। वे निःसंतान दम्पति
थे, जिन्होंने केरल के त्रिशूर के वृषचल मंदिर में भगवान शिव से 48 दिनों
तक प्रार्थना की और संतान प्राप्ति का वरदान मांगा। भगवान शिव उनकी भक्ति
से प्रसन्न होकर शिवगुरु को सपने में दर्शन दिए और उन्हें एक सर्वज्ञ लेकिन
अल्पायु पुत्र का आशीर्वाद दिया।
बचपन से ही असाधारण प्रतिभा और
गुणों के कारण श्री शंकर शीघ्र ही क्षेत्र के लोगों के आकर्षण का केंद्र बन
गए। उस समय केरल भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बन रहा था। अरब
षड्यंत्रकारी व्यापारियों के वेश में आ रहे थे। उनका उद्देश्य भारतीय लोगों
के ज्ञान और आस्था को नष्ट करके भारत को वैचारिक स्तर पर गुलाम बनाना था।
"देश और इसकी संस्कृति की रक्षा के लिए वे किसी भी समय बलिदान देने को
तैयार रहेंगे", यह प्रतिज्ञा लेने के बाद भगवान परशुराम ने नर्मदा और
कावेरी तट के 64 ब्राह्मण परिवारों को अपनी तपोभूमि केरल में बसाया।
कालांतर में परशुराम के ये समर्पित शिष्य ‘नंबूदरी’ कहलाए और आचार्य
शिवगुरु(आदि शंकर के पिता) उनके वंशजों में से एक थे। अपनी प्रतिज्ञा पूरी
करने का समय आ गया था, यह समझकर शिवगुरु ने अरब षड्यंत्रकारियों को केरल से
बाहर निकालने का निर्णय लिया।
इसी प्रकार कहानी अपने विषय के
अनुसार दर्शकों का मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन करते हुए आगे बढ़ती है और
10वें एपिसोड में मगरमच्छ से हुए घनघोर संघर्ष के बाद 8 वर्ष के बालक श्री
शंकर ने अपनी माता का आशीर्वाद लिया और गृहत्याग कर अपने गुरु श्री
गोविंदपाद को खोजने के लिए ओंकारेश्वर की यात्रा पर निकल पड़े।
लेखन और निर्देशन:-
निर्देशक
ओंकारनाथ मिश्रा ने जिस प्रकार से इस सीरीज में ऐतिहासिक पक्ष को तथ्यों
के साथ दिखाने की शानदार कोशिश की है उसे देखकर लगता है कि उन्होंने इस
विषय पर गहन अध्ययन और रिसर्च किया है। 8वीं सदी के भारत की छवि पेश करने
के लिए उस उस वक्त के सामाजिक ताने बाने, परिवेश, रहन-सहन, बोली -भाषा,
वस्त्र और पहनावा, परस्पर व्यवहार, आचार-विचार के साथ-2 अन्य छोटी -2
बातों का अच्छे से ध्यान रखा गया है। कहीं से कोई खामी नजर नहीं आती।
सीरीज देखते हुए लगता है ओंकारनाथ मिश्र ने टाइम मशीन का प्रयोग कर के आपको
उसी एरा में पहुँच दिया है।
अभिनय:-
8 वर्षीय बालक शंकर के
मुख्य किरदार में अर्णव खानिजो का चुनाव सफल रहा है वो काफी प्रभावशाली
दिख रहे हैं उनके चेहरे पर जरूरी शांति, गंभीरता और प्रभामंडल दिख रहा है
जो सहज ही आकर्षित करता है।
आदि शंकर के माता पिता के किरदार में
मशहूर टीवी ऐक्ट्रेस सुमन गुप्ता और कृष्णा धारावाहिक से प्रसिद्धि पाने
वाले ऐक्टर संदीप मोहन ने अपने अनुभव का भरपूर प्रयोग किया है और दर्शकों
को अपने किरदार के साथ बांधने में सफल रहे हैं।
अभिनेता राजीव रंजन
आचार्य विभूति के किरदार में अपने डायलॉग डेलीवेरी और फेशियल इक्स्प्रेशन
के दम पर काफी प्रभावित करते हैं। रंजन ने आचार्य विभूति के किरदार अपने
संजीदा और सहज अभिनय से साबित कर दिया है कि वो क्यूँ वर्सटाइल एक्टर कहे
जाते हैं। योगेश महाजन ने आचार्य धर्मध्वज के किरदार मे काफी सहज और
नैसर्गिक अभिनय प्रस्तुत किया है।
राजा दाहिर के किरदार में
शिवेन्दु ओमशाइनिवाल और गुप्तचर मुक्तिमणी के किरदार में एक्टर हितेन्द्र
उपासनी ने अपने छोटे से रोल में प्रभावशाली अभिनय कला से सम्मोहित कर लिया
है, इन दोनों ऐक्टर्स ने अपने किरदारों को इतनी शिद्दत से निभाया है कि यह
छोटा सा सीन देखकर आप राजा दाहिर के प्रति सम्मान और गर्व से भर उठेंगे।
टीवी के अनुभवी कलाकार गगन मलिक ने सम्राट अशोक को स्क्रीन पर प्रभावी ढंग
से प्रस्तुत किया है। बाकी के सभी कलाकारों ने अपने किरदारों के साथ पूर्ण
न्याय किया है और दर्शकों को कहानी के साथ जोड़ने में सफल रहे है।
संगीत:-
सीरीज
में कहानी के हिसाब से जरूरी संगीत भी है जो डिवाइन फीलिंग देता है। कई
गीत ऐसे हैं जो दर्शक भजन के रूप में जरूर सुनना पसंद करेंगे। गांव की नदी
की धारा मोड़ने के लिए की गई प्रार्थना और शिवोहम शिवोहम बहुत ही मधुर बन
पड़े हैं ।
निष्कर्ष:-
सीरीज मनोरंजक होने के साथ-2 काफी
इनफॉर्मेटिव भी है और कई घटनाएं ऐसी दिखाई और बतायी गई हैं जो आपकी आँखें
खोल देगा। यह एक मस्ट वाच वेब सीरीज है जो आपको अपने स्वर्णिम इतिहास पर
गर्व करने और हमारे शासकों द्वारा पूर्व में की गई गलतियों से सबक लेने
मौका भी देती है।
वेब सीरीज ‘आदि शंकराचार्य’ कुल 8 भाषाओं (हिन्दी,
इंग्लिश, बांग्ला, कन्नड, मराठी, तमिल, तेलुगु और मलयालम ) में 1 नवंबर को
रिलीज किया जाएगा, जिससे कि यह केवल एक क्षेत्र विशेष का सिनेमा न होकर
सम्पूर्ण भारत में देखी जा सकेगी। आर्ट ऑफ लिविंग के ओटीटी एप पर दर्शक
फ्री देख सकेंगे।
वेब सीरीज समीक्षा: आदि शंकराचार्य
कलाकार: अर्नव खानिजो, संदीप मोहन, गगन मलिक, सुमन गुप्ता, योगेश महाजन, राजीव रंजन,
निर्देशक: ओंकार नाथ मिश्रा
निर्माता: नकुल धवन, ओंकार नाथ मिश्रा
रेटिंग: 3.5 स्टार