post authorSuper Admin 3/25/2023 3:39:15 PM (38) (3483)

धीरेन्द्र शास्त्री पर मामला दर्ज : हिन्दू समाज ने डाला पड़ाव, गूंजी हनुमान चालीसा

Ranchi Express

उदयपुर, 25 मार्च  उदयपुर में बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री पर भड़काऊ भाषण का मामला दर्ज होने के बाद हिन्दू समाज में रोष व्याप्त हो गया है। मामला दर्ज करने के विरोध में उदयपुर शहर के युवाओं ने अचानक जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। युवाओं ने ‘मैं हूं बागेश्वर’ के नारे लगाए और सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया। कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन की सूचना जैसे-जैसे शहर में फैली, वैसे-वैसे कई लोग और कलेक्ट्रेट पहुंचना शुरू हो गए। पुलिस प्रशासन को चौराहों पर यातायात व्यवस्था में तब्दीली करनी पड़ी। प्रदर्शनकारी शास्त्री पर दर्ज मुकदमा हटाने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट के पास कोर्ट चौराहे पर पड़ाव डाल लिया और वहीं प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। ऐसे में देहलीगेट से जिला कलेक्ट्रेट होते हुए कोर्ट चौराहा मार्ग पर यातायात पूर्ण रूप से बंद हो गया। दोपहर बाद इस प्रदर्शन में उदयपुर के संतजन भी पहुंच गए। दोपहर 3 बजे बाद तक भी सभी वहीं डटे हुए थे। संतों ने युवाओं को संबोधित भी किया।

दरअसल, भारतीय नववर्ष को लेकर 23 मार्च शाम को उदयपुर के महाराणा भूपाल स्टेडियम में हुई विशाल धर्मसभा में बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री ने कुम्भलगढ़ को लेकर कहा था कि कुम्भलगढ़ किले में हरे झंडे हटाने हैं और भगवा झंडा लगाना है। पुलिस ने इस बयान को धार्मिक हिंसा भड़काने वाला बयान माना और स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया।



शुक्रवार शाम को यह बात सामने आने के बाद से ही लोगों में पुलिस-प्रशासन के खिलाफ विरोध की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। शनिवार सुबह अचानक 11 बजे करीब सौ की संख्या में युवक-युवतियां जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और बागेश्वर के शास्त्री के समर्थन में प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद संख्या बढ़ती चली गई। इस दौरान कुछ युवाओं ने कलेक्ट्रेट के समीप स्थित कोर्ट चौराहे पर बेरिकेड लगाकर यातायात रोक दिया। प्रदर्शनकारियों की पुलिस से धक्कमपेल भी हुई। इसके बाद बड़ी संख्या में वहां पहुंच रहे युवा कोर्ट चौराहे पर ही जम गए। कलेक्ट्रेट से कोर्ट चौराहे तक प्रदर्शनकारी होने के कारण इस मार्ग को बंद करना पड़ा।



इस बीच, कुछ समाज-संगठनों की ओर से जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया जिसमें सारे मामले को गलत बताया गया और इसे सरकार के इशारे पर किया गया कृत्य बताया गया। उन्होंने इसे संत समाज का अपमान बताया और मुकदमा वापस लेने की मांग की गई।

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