post authorSuper Admin 3/1/2023 1:15:44 PM (38) (3483)

झारखंड विधानसभा में आवारा कुत्तों का मामला गूंजा

Ranchi Express


रांची, 1 मार्च (हि.स.)। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन में आवारा कुत्तों का मामला गूंजा। भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि रांची और बोकारो में आवारा कुत्तों का आतंक काफी बढ़ गया है। रांची में हर दिन 300 मरीज डॉग बाइट सेंटर पहुंच रहे हैं।

इससे संबंधित सवाल उन्होंने अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से किया। उन्होंने कहा कि देश में हर वर्ष 20 हजार से ज्यादा मौतें आवारा कुत्तों के काटने से होती है। झारखंड में भी औसतन 50 लोगों की मौत हो रही हैं लेकिन रांची को छोड़कर किसी भी जिले में डॉग स्क्वायड का गठन नहीं हुआ है। उन्होंने सरकार से राज्य के सभी जिलों में डॉग स्क्वायड के गठन की मांग की। विधायक बिनोद सिंह ने कहा कि झारखंड में आवारा कुत्ते के काटने से हुई मौत पर कोई मुआवजा पालिसी नहीं है जबकि अन्य राज्यों में मुआवजा पाॅलिसी है।

विधायक नीरा यादव ने कहा कि विधानसभा परिसर में भी चार-पांच आवारा कुत्ते घूमते रहते हैं। विधायक मथुरा महतो ने कहा कि यह भी व्यवस्था हो कि कुत्तों को पकड़ कर दूसरे जिलों में ना छोड़ा जाए। कुत्ते बोकारो से पकड़े जाते हैं और धनबाद में छोड़े जाते हैं। हमलोग पहले हाथी से परेशान थे और अब कुत्तों से। विधायक अपर्णा सेन गुप्ता ने कहा कि विधानसभा में भी आवारा कुत्ते हैं। जब वो सुबह विधानसभा आती हैं तो डर लगता है।

जवाब में प्रभारी मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि आवारा कुत्तों की रोकथाम के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अभी भी आवारा कुत्तों को टीका लगाया जा रहा है और बंध्याकरण भी कराया जा रहा है। यह कार्य आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने डॉग स्क्वायड के गठन की मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया। मंत्री के जवाब पर विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि अगर सरकार के पास संसाधन की कमी है तो नागालैंड के लोगों को बुला लीजिए। बिरंची के इस कथन का विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने विरोध किया।

स्पीकर के आदेश पर अधिकारी का मोबाइल जब्त

विधानसभा के अधिकारी दीर्घा में बैठे एक पदाधिकारी चलते सदन की फोटो खींच रहे थे। विधायक सीपी सिंह ने इसे देखा और स्पीकर के सामने बात रखी। स्पीकर ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने अधिकारी का मोबाइल जब्त करने का निर्देश दिया। इससे पहले 27 फरवरी को राष्ट्रगान के समय अधिकारी दीर्घा के सात पदाधिकारी अपनी सीट पर बैठे रहे थे। इसे लेकर भी विधायकों ने नाराजगी जताई थी।

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